मैत्री संस्कृति : भाषाएं
सत्येन्द्र कुमार पाठक
जहानाबाद । रक्षक और संस्कृति की पहचान भाषा है ।अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर शहीद मीनार , ढाका मेडिकल कॉलेज कैम्पस, बांग्लादेश में स्थित शहीद स्मारक ,21 फरवरी 1952 पर बांग्ला भाषा के लिए बलिदान की स्मृति दिवस मनाया जाता है। जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन जहानाबाद के उपाध्यक्ष साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि भाषाई और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषावाद की ओर जागरूक करने के लिए मातृभाषा दिवस है । विश्व में भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता की एकता का प्रतीक है । यूनेस्को द्वारा अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की घोषणा से बांग्लादेश के भाषा आन्दोलन दिवस का बांग्ला: भाषा आन्दोलोन दिबॉश को अन्तरराष्ट्रीय स्वीकृति मिली है ।बांग्लादेश में सन 1952 से बांग्ला भाषा दिवस मनाने की परंपरा के कारण राष्ट्रीय अवकाश है। 2008 को अन्तरराष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र आम सभा द्वारा अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की मान्यता प्रदान किया गया है ।अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्मारक, आशफिल्ड पार्क , सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में मनाया जाता है । विश्व में 3000 भाषाएं विलुप्त होने के कगार पर हो रही है । मैत्री संस्कृति के लिए लिन्ग्गुआपाक्स पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष प्रस्तुत किया जाता है। यूनेस्को प्रत्येक वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के लिए विषय सेट फरवरी 21 के आसपास पेरिस में अपने मुख्यालय के लिए संबंधित घटनाओं रखती है।दविश्व में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है। मातृभाषा दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्वभर में अपनी भाषा और सांस्कृतिक की विविधताओं के प्रति लोगों में जागरुकता फैला कर दुनिया में बहुभाषिता को बढ़ावा दिया सके। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का विचार सबसे पहले बांग्लादेश से प्रारम्भ आया। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के सामान्य सम्मेलन ने 17 नवंबर 1999 में मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा कर प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लेने का संकल्प लिया है ।।साल 1952 में बांग्लादेश में ढाका यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी मातृभाषा का अस्तित्व बनाए रखने के लिए 21 फरवरी को एक आंदोलन किया था। आंदोलन में बांग्लादेश के कई युवा शहीद हो गए थे। शहीद युवाओं की स्मृति में ही यूनेस्को ने पहली बार साल 1991 को ऐलान किया कि 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाएगा। पहला अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस साल 2000 में मनाया गया। बांग्लादेश में 21 फरवरी के दिन एक राष्ट्रीय अवकाश होता है।साल 2002 में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की महासभा ने यूनेस्को के अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने वाले फैसले का स्वागत किया। 16 मई, 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने "दुनिया के लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सभी भाषाओं के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए" सदस्य राज्यों के एक प्रस्ताव भेजा था ।अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने के पीछे का मकसद है कि दुनियाभर की भाषाओं और सांस्कृतिक का सम्मान हो। साल 2021 के अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का थीम?अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने के लिए यूनेस्को हर साल एक थीम रखता है। साल 2021 का अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का थीम है, ' ''शिक्षा और समाज में शामिल करने के लिए बहुभाषावाद को बढ़ावा देना'' है। साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि एथ्नोलाँग के अनुसार विश्व में 7097 भाषाएँ हैं । भारत में भाषाओं की संख्या 544 है जिनमें 407 भाषा जीवित है । बिहार में मैथिली, मगही , भोजपुरी, अंगिका, बज्जिका भाषाएँ है। मातृभाषा का विकास सभ्यता और संस्कृति का द्योतक है ।
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