घर में घुस
---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र "अणु"
जो मेरी कुछ बात न करते-
मैं क्यों उनकी बात करूं?
चाहत है सब मुझको देखें,
चाहे जहां जरा कुछ लिखें।
मेरे प्रति क्या भाव है मन में-
न ऐसी कुछ जज्बात धरूं?
वो जो कह दे वही सही है,
ऐसी भी क्या नीति रही है।
सबकी पूजा मैं पाऊं बस-
भले मैं भीतरघात करूं?
पर मेरी है चाल अनोखी,
करता नहीं हूं देखा-देखी।
सुनता मैं अपने मन की-
तेरे पीछे क्यो बेमौत मरूं?
सब जग तब सुंदर होता है,
देख पराया दुख रोता है।
जो हंसतें हैं सबके उपर-
उनकी हंसी पर बज्रपात करूं?
जो कोई अपना मान रहा,
"मिश्रअणु" को जान रहा है।
मिल जाए मुझे वरदान चाह-
घर में घुस उनको मात करूं?
बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष शब्दाक्षर
वलिदाद,अरवल(बिहार)804402.
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