तमतमाया चेहरा
---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
उद्विग्न मन,
घुमता रहता है-
लेकर तमतमाया चेहरा।
उसका व्यवहार,
हो जाता है विपरीत-
मानों हृदय में हो घाव गहरा।।
चबाकर बोलता है,
वह हरेक शब्दों को-
और लगाता है पहरे पर पहरा।।
देखता है सबको,
शंका भरी निगाहों से-
वह क्यों है?मुझे देखकर ठहरा।।
हरेक बात और कार्य में,
उसे लगता है साजिश-
और साथ के लोग गूंगा-बहरा।।
सबसे करता है शिकायत,
लोगों को हमसे है नफरत-
लगाता इल्जाम हाथों को लहरा।।
वलिदाद अरवल (बिहार)८०४४०२.
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