"संसदीय गतिरोध पर बुद्धिजीवियों की विचार" विषयक एक दिवसीय अभासीय बैठक संपन्न हुई।
गया। 8 अगस्त 21 को स्थानीय डॉक्टर विवेकानंद पथ में मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान द्वारा "संसदीय गतिरोध पर बुद्धिजीवियों की विचार" विषयक एक दिवसीय अभासीय बैठक संपन्न हुई।
मगध विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष ए्वं ऑल इंडिया जुलॉजी साइंस के अध्यक्ष डा. बी. एन. पांडेय ने बैठक का शुभारंभ करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रीय चुनौतियों से जुड़े जनहित के गंभीर मुद्दों पर सार्थक बहस की बजाय सदन संचालन में बाधा डालने एवं नियमावली को भंग करने का काम माननीय जनप्रतिनिधि स्वयं कर रहे हैं। इससे निराशा का वातावरण बनता है।
बिहार के जानेमाने साहित्यकार आचार्य राधा मोहन मिश्र माधव ने कहा कि विभिन्न समस्याओं से घिरे इस देश के संसद और विधान मंडल को गत कुछ वर्षों से जिस तरह विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हंगामा हुल्लड़ मचाने का स्थल बनाया जा रहा है उसे किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं ठहराया जा सकता।
मगध विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष रहे हिंदी जगत में एक गरिमामय स्थान रखने वाले प्रोफ़ेसर उमेश चंद्र मिश्र शिव ने कहा कि संसदीय प्रणाली में संसद वाद विवाद संवाद का पवित्र स्थल है न कि अपने आचरण से संवैधानिक मर्यादा को भंग करने का। जनप्रतिनिधियों द्वारा ऐसा अमर्यादित कृत्य लोकतंत्र के विरुद्ध है।
प्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी शिवचरण डालमिया
ने कहा कि वर्तमान में विश्वव्यापी
महामारी के अलावा देश कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समसयाओं से जूझ रहा है, ऐसे में सदन में सार्थक बहस में भाग लेना चाहिये।
झारखंड प्रदेश में विभिन्न संगठनों से जुड़ी भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान की प्रदेश सचिव अपराजिता मिश्रा ने कहा कि देश की सर्वोच्च संस्था में बैठने वाले जनप्रतिनिधियों को अपनी ओर संसदविधान मंडल की गरिमा को समझ कर सकारात्मक और सार्थक बहस करनी चाहिए सदन को बाधित नहीं।
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित अंतरराज्यीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार आचार्य कुल उपाध्यक्ष सच्चिदानंद प्रेमी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सदन की कार्रवाई में भाग लेने वाले वर्तमान विपक्षी दल के सांसदों ने अपने आचरण का परिचय जिस ढंग से दिया है उसने संसद की गरिमा को भंग किया है, अपने क्षेत्र की अधिकांश जनता को निराश एवं शर्मसार किया है। सांसदो को पूर्व संसदीय प्रणाली से सीख लेनी चाहिए।
राम लखन सिंह यादव कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ राम सिंहासन सिंह ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को अपनी उत्कृष्ट आचरण का परिचय देना चाहिए। सदन को बाधित करने से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।
आचार्य पंडित कमलेश पुण्यार्क ने कहा कि जिस तरह की कार्वाई कुछ वर्षों से भारत के तमाम सदन में जनप्रतिनिधियों के द्वारा की जा रही है वह सुदृढ़ जनतंत्र के लिए घातक है।
इस महानगर के गणमान्य व्यक्तियों में एक महेश बाबू गुपुत ने कहा कि आए दिन विधानमंडल क्या संसद की कार्रवाई में जिस तरह से जनप्रतिनिधियों का आचरण देखा जा रहा है वह जनतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।
आचार्य बालमुकुंद मिश्रा ने कहा कि सदनों की कार्यवाही में निर्वाचित सदस्यों द्वारा शोर मचाते देखकर आमजन आहत हैं जो उचित नहीं है।
पीड़ित मानवता की सेवा में समर्पित प्रसिद्ध समाजसेवी वैद्यनाथ चौबे ने कहा सदन की कार्रवाई बाधित कर सदन की गरिमा पर नहीं सीधे जनता पर प्रहार किया जा रही है, जो उचित नहीं है।
समाजसेवी केशव लाल भैया ने कहा कि जनतांत्रिक प्रणाली में सदन को बाधित करना भविष्य में उदार जनतंत्र पर प्रहार करने जैसा है।
संध्या मिश्रा शीतल, श्रुति मिश्रा,रेखा रजक, डॉ शीबा फातिमा ने कहा कि संसदीय गरिमा का उल्लंघन इस प्रकार करना अराजकता पैदा करने वाली है जो चिंतनीय है।
इसके अलावा विश्वजीत चक्रवर्ती,प्रोफेसर रीना सिंह, वैष्णवी मांडवी गुर्दा, प्रोफेसर मीता रानी, डॉक्टर मंटू मिश्रा नीलम पासवान कविता राऊत,मधु मीना, अधिवक्ता मधु आनंद,अधिवक्ता राशिद मसूद, अधिवक्ता दीपक पाठक,भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के राजस्थान अध्यक्ष इंजीनियर अशोक शर्मा, डॉ एस.एस. पाठक नई दिल्ली, सोनी विश्वकर्मा छत्तीसगढ़, देवेंद्र मिश्रा, शिव वल्लभ मिश्रा, आशुतोष मिश्र, रंजीत पाठक, रजनी चावला विशाखापट्टनम, एम एस पुरी, पुष्पलता सोनी, मनीष कुमार मिश्रा, डॉ प्रताप नारायण मिश्र, विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय महासचिव डॉक्टर विवेकानंद मिश्रा ने आभासीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि संसदीय गतिरोध में पक्ष-विपक्ष के तमाम सांसदों को गंभीर आत्म- चिंतन करने की आवश्यकता है।
बैठक में भाग ले रहे सभी व्यक्तियों ने वर्तमान संसदीय प्रणाली की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए जनप्रतिनिधियों के उत्तम आचरण का परिचय देते हुए अपने- अपने क्षेत्र की गरिमा को बढ़ाने की अपील की।
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