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बुढा बाघ और पथिक

बुढा बाघ और पथिक

         ---:भारतका एक ब्राह्मण.
           संजय कुमार मिश्र "अणु"
एक बुढ़ा बाघ
हाथों में कुश लेकर 
बोल रहा था सबसे
इधर आओ!    इधर आओ!
करो स्नान कंगन ले जाओ।।
पुछा एक राहगीर ने-
कहां है तुम्हारा कंगन
वह बुढ़ा बाघ बोला
ये देखो कंगन भर नयन
पहले आओ!     पहले पाओ!!
सुनकर बोला पथिक
पर तुम तो हो हिंसक
कौन करेगा विश्वास-
सबको है तुम पर शक
पहले निराकरण बताओ!!
जवानी में था बहुत खूंखार
मर गया बेटा मेरा परिवार
तब एक सज्जन ने मुझे कहा-
दान धर्म करो बन हृदय उदार
और अपना जीवन सफल बनाओ!
तब से मैं करने लगा दान
और साथ में ईश्वर का ध्यान
पहले वाली बातों को छोड़ो
देखो वर्तमान को पुरुष महान
सोचने में मत समय गंवाओ!!
फिर पुछा पथिक
हमें जरा बताओ तुम उचित
क्यों देना चाहते हो मुझे कंगन-
जबकि मैं हूं सर्वथा अनुचित
जरा खोलकर हमें बताओ!!
मरुभूमि में वृष्टि और भुखे को भोजन,
बताया है सभी ने इसे उत्तम सर्वोत्तम
मेरा पांव धर्म पथ पर बढ़ा है
सुना है उपदेश और सदग्रंथ पढ़ा है,
बेकार चिंतन में मत समय लगाओ!!
फिर फंस गया बातों में पथिक
फंसा दलदल में हुआ पतित
बुढ़े बाघ का वह शिकार बना
लोभ में मारा गया -- मूढमति
सजग बनों अपनी प्रज्ञा जगाओ!!
वलिदाद अरवल (बिहार)804402.
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