जो खड़े हैं हाशिये पर
मैं रचनाकार हूँ , सत्ता का पुजारी नहीं
मिथ्या बोलूं कैसे ?
जो खड़े हैं हाशिये पर
उनको साथ लेकर चलना
है साहित्य धर्म मेरा
मेरी रचनायें छंदों में बंधती हैं
उनकी पीड़ा को छू कर
फिर उन रचनाओं में
सियासत का रंग भरूं कैसे ?
मुझे नहीं चाहिए बड़ा पद
सिर्फ मनुष्य बनना ही उद्देश्य है मेरा
फिर दृढ़ इच्छाशक्ति , आत्मविश्वास
और कठिन संघर्ष का मार्ग
छोडूँ कैसे ?
मुझे नहीं चाहिए धन की थैली
क्योंकि मेरे साथ रहती हैं
मेरे पुरखों की किताबें
मैं जब कभी होता हूँ उदास
वे मुझे देती हैं ऊर्जा आगे बढ़ने की
उनको आत्मसात करने के बाद
जीवन मूल्यों का साथ
छोडूँ कैसे ?
मेरी रचनाएं बाजार की चारदीवारियों को
कर के पार
पहुंचती है उनके हाथों में
जो खड़े हैं मानवता के पक्ष में
जिन्हें है यह पूर्ण विश्वास
मनुष्यता बचाने की हर कोशिश
एक दिन होगी साकार ।
--- वेद प्रकाश तिवारी
देवरिया (उत्तर प्रदेश)
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com