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प्रेम कब पाप होता

प्रेम कब पाप होता

प्रेम कब पाप होता, किसने कहा,
पाप की परिभाषा, किसने गढ़ा?
प्रेम तो शाश्वत अमर बस प्रेम है,
विवाह से प्रेम सम्बन्ध, किसने गढ़ा?

शारीरिक आकर्षण को प्रेम कहते नहीं,
अर्थ या पद लौलूपता, प्रेम कहते नहीं।
आत्मा का मिलन, अध्यात्म ही प्रेम है,
दो शरीरों का मिलन, प्रेम कहते नहीं।

प्रेम कोई समझौता नहीं, कर लीजिए,
हाट में बिकता नहीं, खरीद लीजिए।
अव्यक्त भाषा प्रेम की, व्यक्त कैसे करें,
गूंगे का गुड़, मौन रह आनन्द लीजिए।

अ कीर्ति वर्द्धन
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