कुत्ते भुंक रहे हैं
---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र "अणु"
जिस पर सभी थुक रहे हैं-
अभी वही कुत्ते भुंक रहे हैं।।
जो खुद तैयार है भागने को-
कह रहा है हम रुक रहे हैं।।
सुनकर कौवे का कांव-कांव,
अपनी हीं झोपड़ी फुंक रहे हैं।।
अपना तो विवेक है नहीं कुछ-
बहकावे में अंग्रेजी बुंक रहे हैं।।
आंखों में तैश देह में अकड-
बेकार है कहना की झुक रहे हैं।।
यदि बडे इमानदारी है आपसब,
तो फिर ये चेहरे क्यों छुप रहे हैं।।
लोगों की आदत है बदनाम करना,
इसलिए तो हम सदा मुक रहे हैं।।
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वलिदाद,अरवल(बिहार)804402.
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