जननी, जाया
--:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र "अणु"
सनातन परंपरा में
तुम हो आदिशक्ति।
आज भी वही भाव
रखता है हर व्यक्ति।1।
और आदमी ने तुम्हे,
बना दिया औरत।
आज भी बना रहा है-
जब जैसी हो जरूरत।2।
भोग्या बना रख दिया,
आज तुमको इंसान ने।
अबला से संबोधित किया,
तुम्हें दुनिया जहान ने।3।
तुम हो शक्ति के अवतार,
कहता मेरा संस्कार।।
तुम सदैव वंदनीय रही हो,
चाहे जो भी रहा आकार।4।
सनातन परंपरा में,
अर्द्धनारीश्वर है प्रमाण।
जीव और शक्ति से है-
ये विश्व गतिमान।5।
सब में तेरी महिमा है,
हो अणु या अनंत।
खेले गोद में भगवान,
कहता दिक् दिगंत।6।
तुम धन्य हो,
है धन्य तेरी माया।
तुम भक्ति-मुक्ति-
हो जननी जाया।7।
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