पहली सखीनयन नीर भरे मुख मलिन हैक्यों ठाड़ी हो सखी तुम द्वारकारण कौन बताओ सखी रीहुई कांत से क्या तेरी तकरारपटुका चुनरी बरसा में भींगीसूखे बदन से निहारे अब हाड़अश्रु बहाए नयन का काजलधूमिल हुआ क्यों तेरा श्रृंगारदूसरी सखीदिलवर ने दिलघात कियो हैदर्द दिया मेरे हृदय को अपारकद्र किए नही पावन प्रेम काबसा लिए हैं वो अलग संसारकैसे तजु प्रीतम को हे सखीभाए ना अब ससुराल श्रृंगारआस लगाई पिया मिलन काद्वार खड़ी करूं नित इंतजारसावन मास सुहावन है सखीरिमझिम बरसे चहुदिश फुहारतपीस दूर हुआ आज धरा कास्वरचित अनीता पाठकमेरे साजन लौट ना आए द्वारदिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com