रिश्ता दोस्ती का
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हर रिश्ते की अपनी एक मर्यादा होती है
जिसकी अपनी हद और सीमाएँ होती हैं
निभाई जाती है बड़े ही शिद्दत के साथ
तभी उस रिश्ते में कामयाबी होती है ।
एक रिश्ता होता बड़ा ही अनोखा और न्यारा
दोस्ती का निश्छल रिश्ता जो किसी बंधन में न होता बंधा
दिल से जुड़ा यह रिश्ता हर पल पर देता सहारा
कभी तू -तू ,मैं- मैं करता और कभी प्यार से गले लगाता
यह दोस्ती का रिश्ता सदियों से चला रहा है
कृष्ण संग सुदामा हरेक के जीवन में मुस्कुरा रहा है ।
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