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शिक्षक पर कार्रवाई : सरकार की विफलता

शिक्षक पर कार्रवाई : सरकार की विफलता

---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र "अणु"
अभी कुछ दिन पहले बिहार के शिक्षा विभाग के सचिव ने एक पत्र निर्गत किया सरकारी शिक्षकों के नाम।वह इसलिए कि जो विद्यालय में मध्याह्न पोषाहार के लिए चावल आता है उस बोरा को बेचकर सरकारी खजाने में राजस्व की पूर्ति हो।बोरा न बिकने के कारण सरकार को बड़ी घटी लग रही थी।बस क्या था शिक्षा विभाग के तानाशाहों को एक मौका मिल गया शिक्षक की गरीमा धूमिल करने का और वह एक पत्र निर्गत कर दिया।
वैसे भी बिहार के सरकारी विद्यालयों के शिक्षक एक बंधुआ मजदूर हैं जो सरकार के हर काम को बिना ना-नुकुर किए उसे लक्ष्य तक ले जाता है।शिक्षा को छोड़कर जितना भी आलतु-फालतु काम है सरकार वह सब काम शिक्षकों से लेती है। बात जनगणना, पशु गणना,गृह गणना, वोटर लिस्ट निर्माण वगैरह-वगैरह।सब काम शिक्षकों से लिया जाता है।उपर से गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की भी जबावदेही।धन्य है ये सरकार।
जब सरकार के आदेश का अनुपालन एक शिक्षक करने लगा यानि बोरा बेचने के लिए वह चला तो सरकार को बेइज्जती लगी। सरकार खुद हीं शिक्षकों की प्रतिष्ठा धूमिल कर रही है।आज विद्यालय राजनीति का अखाड़ा बन गया है। सरकार की गलत नीतियों और उसके क्रियान्वयन के कारण आज शिक्षक समाज बेचारा बना हुआ है।उसका कहीं कोई माई-बाप नहीं है।उपर से लेकर नीचे तक के लोग उसे ट्रस्ट कर रहा है। सरकार-समाज की असंवेदनशील सहभागिता के कारण आज विद्यालय की बदनामी हो रही है।शिक्षा की बदनामी हो रही है। शीर्षकों की बदनामी हो रही है और इस बदनामी का सारा श्रेय जाता है बिहार के सरकार और शिक्षा सचिव का जो अपने पागलपन के हद तक उल्टे-सीधे फरमान निकालते रहते हैं।
सरकार को जो भी समाज हित का कार्य करना है वो करें मैं इसका विरोध नहीं कर रहा हूं पर जो जरूरी है वह तो हो। पर सभी काम एक शिक्षक के हीं जिम्मे हो ये ग़लत है। सरकार के पास बहुत सी समिति है संगठन है वह उससे ले।शिक्षक से हीं क्यों? शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य करवाना आखिर किस संविधान के अंतर्गत है।यदि आप एकज्ञसंवैधानिक पद पर आसीन हैं तो सर्वप्रथम शिक्षकों से गैर संवैधानिक कार्य लेना बंद करें।शिक्षक दौ हीं गैर शैक्षणिक कार्य में संलग्न रहे सकते हैं पहला आपदा और दूसरा चुनाव।
अभी जितनी तेजी से एक शिक्षक के निलंबन की की प्रक्रिया पूरी हुई है इतनी तेज गति से अबतक कोई भी सरकारी कार्य होते मैंने नहीं देखा है।शिक्षक बेचारा है। आखिर उस शिक्षक की क्या गलती है।सब गलती तो आपकी है जो ऐसा आदेश निकालें हैं। आपने कहा वह किया और उसका प्रतिफल यह है कि उसे अपमानित कर निलंबित कर दिया गया।वाह रे बिहार की सुशासन सरकार।यदि सुशासन सरकार के पास थोड़ी सी शर्मोहया है तो वह अविलंब शिक्षा मंत्री और‌ शिक्षा सचिव पर कार्रवाई करें।शिक्षक को यथाशीघ्र निलंबन मुक्त करें।साथ हीं सरकार और समाज यह शपथ ले की आज से शिक्षकों को कोई भी गैर शैक्षणिक कार्य में संलग्न नहीं किया जायेगा।शिक्षक व्यक्ति,समाज और राष्ट्र निर्माता हैं।उसको अपना कार्य करने दिया जाए।
लोगों में ये धारणा बना दिया गया है कि सरकारी शिक्षक पढ़ाते नहीं है। सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती है जो सर्वथा गलत है। आज बिहार में जो शैक्षणिक उपलब्धि है वह सरकार की नहीं हम शिक्षकों की उपलब्धि है।काम हम करें और सरकार अपनी पीठ थपथपा ले ये तो नाइंसाफी है।जो जिसका कार्य है उसे पुरी निष्ठा और लगन से करने दिया तभी विकास संभव है। ये उल्टे-सीधे फरमान पर तत्काल रोक लगाया जाय।
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