Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

आहिस्ता

आहिस्ता

       --:भारतका एक ब्राह्मण.
         संजय कुमार मिश्र"अणु"
अब!
रिश्ते भी,
बना रहे हैं लोग-
देखकर अपनी आवश्यकता।
मैं नहीं?
समझ पाया,
लोगों की मानसिकता-
और तथाकथित विवसता।।
जरूर होगा!
कोई गुप्त बात,
या फिर दबी खुन्नस-
तभी तो पकडा है ये रास्ता।।
कहे कौन?
देखकर ऐसे मौन,
पर खुलता हीं है पोल-
देकर इधर-उधर का वास्ता।।
मन का गांठ!
नहीं रहने देता है,
किसीको भी अस्थिर-
पंगु बना देता है अच्छा खास्ता।।
सबकी सुनों!
सबको सुनाओ,
दूर मत जाने दो उसे-
कहो मुझे सुनना है तेरी दास्तां।।
मन की बात,
जन की बात-
फिर गले लगा लो आहिस्ता।।
----------------------------------------
वलिदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२.
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ