Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

ताउम्र निभाता रहा फर्ज

ताउम्र निभाता रहा फर्ज

ताउम्र निभाता रहा फर्ज, खुद की खातिर कभी जिया ना,
सुकुन से बैठकर नहीं खायी रोटी, दो घूंट पानी पिया ना।
रात दिन एक कर दिया था, परिवार की खुशी के वास्ते,
आरोप लगता है कर्तव्य था, अहसान कुछ भी किया ना।

जो कुछ कमाया, दे दिया सब परिवार को,
खुश रहें बच्चे, प्राथमिकता सदा विचार को।
दुर्भाग्य इस दौर का, समाज अर्थ प्रधान बना,
ठुकराने लगे हैं बच्चे अब, बुजूर्गों के प्यार को।

अ कीर्ति वर्द्धन
दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ