केकैयी
केकैयी एक विदुषी नारी
राष्ट्र प्रेम था जिसको भारी,
राक्षसों ने जब किया उत्पात,
मुनियों संग मिल किया विचार।
राम एक अनोखे योद्धा,
सीखी जिसने सारी विद्या,
दुष्टों का बढ़ता अत्याचार
राम करें उनका संहार।
दूर है लंका विकट समस्या
समय लगेगा इसमें अपार
वन में छिपे राक्षसों का
घर में घुसकर हो प्रतिकार।
राम ने भी किया समर्थन
राष्ट्र हितों पर वारी तन मन
वन जाने को हूं मैं तत्पर
परिणामों पर वाद निरर्थक।
गुप्त रूप से हुई मंत्रणा
वशिष्ठ राम केकैयी का संग था
केकैयी मांगेगी वरदान
राम करेंगे वन प्रस्थान।
परिणामों पर हुआ विचार
राष्ट्रहित था वहां अपार
सुहाग दांव पर केकैई का था
राष्ट्र प्रेम उससे भी बड़ा था।
राष्ट्र हितों पर सब कुछ वारि
वर मांगने की हुई तैयारी
मंथरा को भी किया तैयार
योजना बनी बहुत आपार।
भरत बैठेंगे राज सिंहासन
राम चलेंगे वन के द्वार
दुष्टों का वहां करेंगे नाश
नर वानर सब देंगे साथ।
ऋषि मुनि आह्वान करेंगे
पशु पक्षी वनवासी सहयोग करेंगे
तब नवभारत होगा निर्माण
केकैई तुम हो बड़ी महान।
अ कीर्ति वर्द्धन
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