काम बोलेगा
मैं नहीं प्यारे , मेरा काम बोलेगा।
क्या मेरी औकात, हैं क्या दक्षताएँ
क्या करिश्मा, कृत्य क्या हैं क्षमताएँ
किसी हृत्तंत्री का तार अविराम डोलेगा
मैं नहीं प्यारे, मेरा काम बोलेगा।
क्या मेरी उपलब्धिययाँ, क्या है प्रदर्शित
क्या मेरी थाती, मेरी क्या है सृजित
कहीं न कहीं किया तमाम बोलेगा
मैं नहीं प्यारे, मेरा काम बोलेगा।
क्या रही दुनिया की चाह, जाना नहीं
क्या मिली कुछ थाह भी माना नहीं
कोई प्रमुदित मन हृदय को थाम बोलेगा
मैं नहीं प्यारे, मेरा काम बोलेगा।
रूपसी के रूप में संचित अमित मधु
प्रेम-ज्वार अनंत भर उर में पिपासु
मुख नहीं, प्रिय का रसिक दृग-धाम बोलेगा
मैं नहीं प्यारे, मेरा काम बोलेगा।
दृश्य कुछ देता रहा अभिराम सा
जन हुए हर्षित कुछ नव्यता पा
उन पलों की याद बिसरे याम खोलेगा
मैं नहीं प्यारे, मेरा काम बोलेगा ।
क्या रहा था, क्या रहेगा, है अभी क्या !
देकर जाना भी कुछ, खाली रहेगा हाथ या ?
कोई तो उद्दात भावुक काम तोलेगा
मैं नहीं प्यारे, मेरा काम बोलेगा।
राधामोहन मिश्र माधव
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