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भौगोलिक संरक्षक का पंच तत्वों का ज्योतिर्लिंग

भौगोलिक संरक्षक का पंच तत्वों का ज्योतिर्लिंग

सत्येन्द्र कुमार पाठक
ज्योतिष एवं भौगोलिक शास्त्र के अनुसार केदारनाथ से रामेश्वरम तक एक सीधी रेखा में बनाये गये पांच ज्योतिर्लिंग है। ऋषियों और महर्षियों का विज्ञान और तकनीके उत्तराखंड का केदारनाथ, तेलंगाना का कालेश्वरम, आंध्रप्रदेश का कालहस्ती, तमिलनाडू का एकंबरेश्वर, चिदंबरम और रामेश्वरम मंदिरों को 79° ई 41’54” लॉगिचुयड के भौगोलिक दृष्टिकोण से सीधी रेखा में बना है। मंदिर प्रकृति के 5 तत्वों में ज्योतिर्लिंग की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व कर भाषा में पंच भूत है। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और अंतरिक्ष का प्रतीक पंचभूतों पांच तत्वों के आधार पर पांच शिव का ज्योतिर्लिंग प्रतिष्टापित है। भौगॊलिक रूप से ज्योतिर्लिंग मंदिरों में विशेषता पायी जाती है। योग विज्ञान के अनुसार एक दूसरे के साथ एक निश्चित भौगोलिक समरेखण में रखा गया है। यह मनुष्य के शरीर पर प्रभाव करता है । मंदिरों का चार हज़ार ई. पू . निर्माण स्थानों के अक्षांश और देशांतर को मापने के लिए उपग्रह तकनीक उपलब्ध था। केदारनाथ और रामेश्वरम के बीच 2383 किमी की दूरी एक ही समानांतर रेखा में है। श्रीकालहस्ती मंदिर में टिमटिमाते दीपक का वायु लिंग है। तिरूवनिक्का मंदिर के अंदरूनी पठार में जल वसंत के अनुसार जल लिंग है। अन्नामलाई पहाड़ी पर विशाल दीपक युक्त अग्नि लिंग है। कंचिपुरम के रेत के स्वयंभू लिंग युक्त पृथ्वी लिंग और चिदंबरम की निराकार अवस्था से भगवान के निराकारता युक्त आकाश तत्व है। ब्रह्मांड के पांच तत्वों का प्रतिनिधित्व करनेवाले पांच लिंगो को एक समान रेखा में सदियों पूर्व ही प्रतिष्टापित किया गया है। केदारनाथ से रामेश्वरम तक सीधी रेखा में रहने के कारण रेखा को “शिव शक्ति अक्श रेखा” कहा जाता है। भारतीय सनातन धर्म शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र में विज्ञान और भौगोलिक स्थिति का उल्लेख है दिव्य रश्मि केवल समाचार पोर्टल ही नहीं समाज का दर्पण है |www.divyarashmi.com

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