आयुर्वेद के प्रणेता भगवान धन्वंतरि अवतरणोत्सव
आयुर्वेद शास्त्र एवं पुरणों स्मृतियों में पाँच दिवसीय दीपोत्सव का उल्लेख है । दीपोत्सव का प्रथम दिवस कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी 2078 , दिनांक 02 नवंबर 2021 मंगलवार त्रिपुष्कर योग में औषधियों के स्वामी भगवान धन्वंतरि अवतरण दिवस एवं धनतेरस है । साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने का है कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी में भगवान धन्वन्तरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर निकले थे। धनतेरस पर बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार धनतेरस की सुबह त्रिपुष्कर योग में सूर्योदय उत्तरा फाल्गुनी और हस्त नक्षत्र होने से धाता और सौम्य शुभ योग हैं । 2 नवंबर, मंगलवार को धनतेरस पर बुध ग्रह राशि परिवर्तन कर कन्या से तुला राशि में प्रवेश करेगा। इस राशि में पहले से ही सूर्य स्थित है। सूर्य और बुध के एक राशि में होने बुधादित्य शुभ योग है। मंगल ग्रह तुला राशि में होने से त्रिग्रही योग धनतेरस है। प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत व पूजा की जाती है। मंगलवार को त्रयोदशी तिथि का योग होने से ये भौम प्रदोष होने के कारण भगवान शिवजी के साथ-साथ मंगल ग्रह से संबंधित उपाय करने चाहिए। मंगल दोष में भात पूजा के लिए विशेष शुभ माना जाता है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि हाथ में अमृत से भरा कलश लिए हुए अवतरण हुए थे । इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। इस तिथि को धन्वंतरि जयंती या धन त्रयोदशी हैं। धनतेरस में बर्तन और गहने आदि की खरीदारी करना बेहद शुभ होता है। धनतेरस के दिन धन्वंतरि देव और मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहती है। इस दिन भगवान कुबेर की पूजा विधान है। धनतेरस 2021 का शुभ मुहूर्त- 2 नवंबर 2021 मंगलवार , धन त्रयोदशी पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 5 बजकर 25 मिनट से शाम 6 बजे तक। , प्रदोष काल- शाम 05:39 से 20:14 बजे तक। , वृषभ काल- शाम 06:51 से 20:47 तक है । धनतेरस पूजा विधि- सबसे पहले चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाने के बाद गंगाजल छिड़कर भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो स्थापित कर भगवान के सामने देसी घी का दीपक, धूप और अगरबत्ती जला का देवी-देवताओं को लाल फूल अर्पित करें। खरीद की हुई धातु , वर्तन , ज्वेलरी चौकी पर रखें। लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्तोत्र का पाठ करें। धनतेरस की पूजा के दौरान लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करें और मिठाई का भोग लगा कर इष्ट देव की उपासना करते है । भगवान धन्वंतरि के अवतरणोत्सव को धनतेरस , आयुर्वेद दिवस , घन दिवस , तेरस दिवस , अमृत दिवस कहा गया है ।
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