सृष्टि और मानवीय शक्ति
सत्येन्द्र कुमार पाठक
सनातन धर्म के विभिन्न ग्रंथो , शास्त्रों एवं उपनिषदों के अनुसार सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी की पत्नियों में माता सावित्री , गायत्री , श्रद्धा ,मेघा और सावित्री की पुत्री सरस्वती है । स्वायम्भुव मनु की पत्नी शतरूपा , कश्यप की पत्नी अदिति , अंगिरा की पत्नी श्रद्धा के पुत्र वृहस्पति , द्यौ की पुत्री उषा , भगवान विष्णुकी पत्नी माता लक्ष्मी ,जालंधर की पत्नी भगवान विष्णु के अंश वृंदा एवं तुलसी थी ।माता यशोदा की पुत्री एकांनंशा श्री कृष्ण की बहन योगमाया विंध्यवासिनी , यमराज की बहन यमुना , कालिंदी , इंद्र की पत्नी इंद्रनील ज्वालादेवी की उपासिका शचि ,पितरों के अधिपति अर्यमा की बहन अदिति की पुत्री सूर्यपुत्र रेवंतक की पत्नी माता आर्याणि , त्रिदेव की माता अम्बिका को जगदम्बा ,दुर्गा ,कैटभा , महामाया ,और चामुंडा है ।दक्ष की पुत्री एवं भगवान शिव की पत्नी सती ,राजा हिमवान की पत्नी मैनावती की पुत्री माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय , गणेश एवं पुत्री अशोक सुंदरी , भूमि की पुत्री उमा , हिमवान की पुत्री गंगा ,है । भद्रकाली को श्यामा, दक्षिणा कालिका , दक्षिण काली , गुह्म काली, कालरात्री, भद्रकाली, महाकाली, श्मसान कली कहा गया है ।वनदुर्गा को षठप्रहरिणी असुरमर्दिनी , वनदुर्गा, वनों की पीड़ा सुनकर उनमें आश्रय लेने वाले दानवोंका वध करने और वनों की रक्षा करने वनदुर्गा के रूप में अवतरित हुई शक्ति है। वरुण की पत्नी देवी वरुण या वरुणानी , राजा मैखल की पुत्री, सोनभद्र की पत्नी नर्मदा , नवदुर्गा में शैलपुत्री , ब्रह्मचारिणी ,चन्द्रघंटा , कूष्मांडा ,स्कंदमाता , ऋषि कात्यायन की पुत्री कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी, तुलजा भवानी , .कालरात्रि , महागौरी , सिद्धिदात्री है । दुर्गा सप्तशती के अनुसार ब्राह्मणी, महेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, नरसिंही, ऐन्द्री, शिवदूती, भीमादेवी, भ्रामरी, शाकम्भरी, आदिशक्ति और रक्तदन्तिका। दस महाविद्या में भगवान शंकर की पत्नीं, असुर रक्तबीज का वध करने वाली अम्बा माता की बेटी, पार्वती की सखी काली , प्रजापति दक्ष पुत्री, सती की बहन तारा , छिन्नमस्ता : (देवी पार्वती का एक रूप है, सहचरणीं जया व विजया , .त्रिपुरसुंदरी : ललिता, राज राजेश्वरी, त्रिपुरा-भैरवी, त्रिपुरा और त्रिपुर सुंदरी जगदम्बा ही त्रिपुरा हैं)।.भुवनेश्वरी : (महालक्ष्मी स्वरूपा, शाकम्भरी और दुर्गा नाम से भी प्रसिद्ध, काली और भुवनेशी प्रकारांतर से अभेद है काली का लाल वर्ण स्वरूप ही भुवनेश्वरी हैं)।.त्रिपुरभैरवी : (नारद-पाञ्चरात्र के अनुसार यह माता काली का ही स्वरूप है), महिषासुर नामक दैत्य के वध से सम्बंधित हैं। योगिनियों में 1.त्रिपुर भैरवी ,2.कौलेश भैरवी, ,3.रूद्र भैरवी,, 4.चैतन्य भैरवी, , 5.नित्य भैरवी,6.भद्र भैरवी, ,7.श्मशान भैरवी, ,8.सकल सिद्धि भैरवी ,9.संपत प्रदा भैरवी10. कामेश्वरी भैरवी इत्यादि. देवी त्रिपुर भैरवी का घनिष्ठ संबंध 'काल भैरव' से है.7.धूमावती : (सातवीं महाविद्या धूमावती को पार्वती का ही स्वरूप माना गया). ,8.बगलामुखी : मां बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है जो श्रीविद्या से उत्पन्न हुई है, इन्हें वैष्णवी , 9. देवी मातंगी : (मतंग मुनि की पुत्री, मातागिरी नाम से प्रसिद्ध) , 10. देवी कमला : देवी कमला, भगवान विष्णु से संबंधित, समुद्र मंथन से उत्पन्न). दीपावली के दिन शैव लोग काली की और वैष्णव लोग कमला की पूजा करते हैं. कमला महालक्ष्मी है। चौंसठ योगिनियों में 1.बहुरूप, 3.तारा, 3.नर्मदा, 4.यमुना, 5.शांति, 6.वारुणी 7.क्षेमंकरी, 8.ऐन्द्री, 9.वाराही, 10.रणवीरा, 11.वानर-मुखी, 12.वैष्णवी, 13.कालरात्रि, 14.वैद्यरूपा, 15.चर्चिका, 16.बेतली, 17.छिन्नमस्तिका, 18.वृषवाहन, 19.ज्वाला कामिनी, 20.घटवार, 21.कराकाली, 22.सरस्वती, 23.बिरूपा, 24.कौवेरी, 25.भलुका, 26.नारसिंही, 27.बिरजा, 28.विकतांना, 29.महालक्ष्मी, 30.कौमारी, 31.महामाया, 32.रति, 33.करकरी, 34.सर्पश्या, 35.यक्षिणी, 36.विनायकी, 37.विंध्यवासिनी, 38. वीर कुमारी, 39. माहेश्वरी, 40.अम्बिका, 41.कामिनी, 42.घटाबरी, 43.स्तुती, 44.काली, 45.उमा, 46.नारायणी, 47.समुद्र, 48.ब्रह्मिनी, 49.ज्वाला मुखी, 50.आग्नेयी, 51.अदिति, 51.चन्द्रकान्ति, 53.वायुवेगा, 54.चामुण्डा, 55.मूरति, 56.गंगा, 57.धूमावती, 58.गांधार, 59.सर्व मंगला, 60.अजिता, 61.सूर्यपुत्री 62.वायु वीणा, 63.अघोर और 64. भद्रकाली है।31.महामाया, 32.रति, 33.करकरी, 34.सर्पश्या, 35.यक्षिणी, 36.विनायकी, 37.विंध्यवासिनी, 38. वीर कुमारी, 39. माहेश्वरी, 40.अम्बिका, 41.कामिनी, 42.घटाबरी, 43.स्तुती, 44.काली, 45.उमा, 46.नारायणी, 47.समुद्र, 48.ब्रह्मिनी, 49.ज्वाला मुखी, 50.आग्नेयी, 51.अदिति, 51.चन्द्रकान्ति, 53.वायुवेगा, 54.चामुण्डा, 55.मूरति, 56.गंगा, 57.धूमावती, 58.गांधार, 59.सर्व मंगला, 60.अजिता, 61.सूर्यपुत्री 62.वायु वीणा, 63.अघोर और 64. भद्रकाली है। ससृष्टि कर्ता , पालन कर्ता एवं संहार करने तथा संतुलनकर्ता माता महाकाली , माह लक्ष्मी , माह सरस्वती , भागवान ब्रह्मा ,विष्णु महेश की उपासना से ब्रह्मांड का कल्याण निरंतर होते रहते है ।
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