प्रकृति की अद्भुत छटा
अ कीर्ति वर्द्धन
प्रकृति की अद्भुत छटा, सुबह भोर में ही देखिए,
शांत शीतल जल में लहरें, किलोल करती देखिए।
पुष्पों की मधुरिम छटा, वृक्ष आह्लादित हो झूमते,
भौंरे तितली झूमते, परिंदों का चहचहाना देखिए।
भोर में सूरज की किरणें, जब गगन धरा चूमती,
कली कली खिल उठी, नव जीवन आस उकेरती।
तन मन जागृत हुआ, निशा निज तम को सकेरती,
खिल उठी सारी सृष्टि, जलतरंग झिलमिला खेलती।
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