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आओ सभी मिलजुलकर यहाँ


आओ सभी मिलजुलकर यहाँ 

आओ सभी मिलजुलकर  यहाँ,
कुछ काम की बात करें,
कर लें मिलकर कुछ काम,
फिर आराम की बात करें। 
   आओ सभी मिलजुलकर...।

आओ चलें उस गाँव,शहर में,
जहाँ कुछ लोग भूखे हैं,
बुझायें उनके पेट की आग,
फिर रोजगार की बात करें। 
    आओ सभी मिलजुलकर...।
    
आओ चलें अब उस जगह ,
जहाँ लोग खुले आसमान में सोते हैं,
आओ पोछें हम उनके आँसू,
जो भय,भूख से रोते हैं। 
    आओ सभी मिलजुलकर...।

आओ चलें हम उनके घर-द्वार ,
जो अंधकार में रहते हैं,
झेल लेते जो भय,भूख,गरीबी,
पर उफ् तक नहीं करते हैं। 
    आओ सभी मिलजुलकर...।

धिक्कार है उन पार्टी,नेताओं की,
जो गरीब,गरीबी की बात करते हैं,
मरने देते हैं शोषित,वंचित,गरीब को,
सिर्फ अपनी तिजोरी भरते हैं। 
     आओ सभी मिलजुलकर...।

आओ चलें उन वीरों के घर,
जो देश की सीमा पर लड़ते हैं,
उफ्,आह तक कभी करते नहीं,
देश के लिये मरते हैं। 
    आओ सभी मिलजुलकर...।

नहीं करें सिर्फ अपनी बात,
कभी कभार देशप्रेम की भी बात करें ,
रहें हिल मिलकर यहाँ सभी,
देश के लिये जियें,देश के लिये मरें।
     आओ सभी मिलजुलकर...।
         ------000----
        अरविन्द अकेला
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