काबुल। तालिबान की वापसी के बाद से अफगानिस्तान के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। आतंकी हमले, भुखमरी, बेरोजगारी के बाद अब अफगानिस्तान के सामने बड़ा संकट है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मुताबिक, इस देश का बैंकिंग सिस्टम कभी भी ध्वस्त हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में बैंकिंग और फाइनेंशियल सिस्टम ध्वस्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं। ऐसे में अफगानिस्तान के बैंकों को बढ़ावा देने के लिए तत्काल कार्रवाई करने पर जोर दिया जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने चेतावनी दी कि कर्ज चुकाने में असमर्थ नागरिकों, कम जमा और नकदी की कमी के कारण वित्तीय प्रणाली कुछ महीनों के भीतर ही ध्वस्त हो सकती है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली पर तीन-पेज की रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली के ध्वस्त होने पर उसको फिर से बनाने में लगने वाली आर्थिक लागत और उसके नकारात्मक सामजिक प्रभावी बहुत भयावह होंगे। अफगानिस्तान में तालिबान के अगस्त में सत्ता सम्भालने के बाद उपजी अनिश्चितता के कारण अचानक पीछे हटे विदेशी निवेश ने वहां की अर्थव्यवस्था को फ्रीफॉल में ले जाने का कार्य किया।
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