कटू वचन
तीखी वाणी के तीर चले छलनी हृदय हो जाता है
कलयुग चालें तिरछी बेटा भी आंख दिखाता है
वाणी के तीखे बाणों से आहत मानवता होती है
मन पर होते आघात कई अंतर आत्मा रोती है
कड़वे वचन मानव के अंतर्मन को देते झकझोर
अरमान सारे दफन होते चिंताएं बरसती घनघोर
सच्चाई कड़वी होती है सच का सामना जरूरी है
जुबां पर कसकर हमें रखनी लगाम जरूरी है
बोली के तीखे बोल जब दिल को चुभ जाते हैं
बदलते मायने जीवन के जन राहें नई बनाते हैं
मत बोलो ऐसे बोल आहत मन को कर जाते हैं
दीन दुखी के अंतर्मन से श्राप बन निकल जाते हैं
कटु वचनों से क्लेश बड़े कष्टों के मेघ घने छाए
सुखचैन सारा खो जाता रस्ता नजर नहीं आए
रमाकांत सोनी नवलगढ़
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