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रूठे पुरोहितों को धामी ने मनाया

रूठे पुरोहितों को धामी ने मनाया

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। इस बोर्ड से पुरोहितों का वर्चस्व समाप्त हो गया। माना जाता है कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाने का एक बड़ा कारण यह भी था। त्रिवेन्द्र के बाद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया जिन्होंने 51 मंदिरों को देवस्थानम बोर्ड से मुक्त करने के बाद किया था लेकिन पुरोहितों का विरोध कायम रहा। इसी के चलते चारधाम के पुरोहितों ने मंत्रियों का घर घेरा था अब राज्य मंे विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसी संदर्भ मंे आगामी चार दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य का दौरा कर कई परियोजनाओं की सौगात देने वाले हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पीएम के दौरे से पहले पुरोहितों का गुस्सा शांत कर दिया है। उन्होंने देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया है। देवस्थानम बोर्ड का गठन 2020 मंे तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने किया था। इस बोर्ड के गठन के जरिए राज्य के 51 प्रमुख मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया था। उत्तराखण्ड मंे केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री के नाम से चारधाम हैं। इन चारों धामों का नियंत्रण भी सरकार के पास आ गया था। तीर्थ-पुरोहित इस फैसले को वापस लेने की मांग तभी से कर रहे थे। पुष्कर सिंह धामी ने तीर्थ पुरोहितों की मांग पर एक कमेटी का गठन किया था और उस कमेटी की रिपोर्ट पर बोर्ड को भंग कर दिया। इससे पीएम की यात्रा के समय किसी प्रकार के विरोध की गुंजाइश नहीं रही है।
उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने जा रहे हैं। इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देहरादून में एक बड़ी रैली के साथ चुनाव प्रचार का आगाज करने जा रहे हैं। पीएम मोदी 4 दिसंबर को उत्तराखंड के दौरे पर रहेंगे, जिसके दौरान देहरादून के पैवेलियन ग्राउंड में वे एक बड़ी रैली को भी संबोधित करेंगे। यह तीन महीनों में मोदी का उत्तराखंड में तीसरा दौरा होगा। इस रैली के माध्यम से बीजेपी उत्तराखंड में चुनाव प्रचार का आगाज करेगी। इससे पहले पीएम मोदी 4 अक्टूबर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ऑक्सीजन प्लांट का उद्घाटन करने के लिए गए थे। फिर 5 नवंबर को आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण करने केदारनाथ गए थे।
प्रधानमंत्री ने आदि गुरु की मूर्ति का शिलान्यास करने के बाद केदारनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने कुछ और पुनर्निर्माण कार्यों का भी लोकार्पण और शिलान्यास किया। इनके अलावा प्रधानमंत्री मोदी सरस्वती रिटेनिंग वॉल आस्थापथ और घाट, मंदाकिनी रिटेनिंग वॉल आस्थापथ, तीर्थ पुरोहित हाउस और मंदाकिनी नदी पर गरुड़ चट्टी पुल कुछ ऐसी परियोजनाएं हैं जिनका उद्घाटन किया। मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित, केदारनाथ मंदिर चार प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है जिसे चार धाम यात्रा कहा जाता है, जिसमें यमुनोत्री, गंगोत्री और बद्रीनाथ भी शामिल हैं।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के पहले देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा गरमा गया है। देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर चारधाम के तीर्थ पुरोहितों ने मंगलवार को उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों के घरों का घेराव किया। पुरोहितों ने देवस्थानम बोर्ड के गठन के कानून को वापस लेने के लिए एमपी सरकार पर दबाव बनाने के वास्ते मुख्य रूप से कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के घर के बाहर धरना दिया और शीर्षासन भी किया। उनियाल अपने घर से बाहर निकले और पुरोहितों से बातचीत कर उनकी मांगों को ध्यान से सुना। मंत्री ने पुरोहितों से 30 नवंबर तक इंतजार करने को कहा। साथ ही संकेत दिया कि इसके बाद सरकार बड़ा निर्णय ले सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहने के दौरान 2019 में गठित चारधाम देवस्थानम बोर्ड का चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहित शुरू से ही विरोध कर रहे हैं। पुरोहित इसे भंग किए जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। पुरोहितों का मानना है कि बोर्ड का गठन उनके अधिकारों को चोट पहुंचाता है। तीर्थ पुरोहितों ने कहा था कि वे ‘चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के बैनर तले सात दिसंबर से गैरसैंण में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा भवन का भी घेराव करेंगे।
विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के अलावा केंद्र द्वारा नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद तीर्थ पुरोहितों को अपनी मांग पूरी होने की आस बंधी थी। इस साल जुलाई में मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने इस मुद्दे के हल के लिए वरिष्ठ बीजेपी नेता मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया था। यह समिति अपनी अंतरिम रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है। ध्यान रहे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के एक और फैसले को पलट दिया था और चार धाम देवस्थानम बोर्ड के नियंत्रण से 51 मंदिरों के प्रबंधन को मुक्त कराने और इसके गठन पर पुनर्विचार करने का फैसला किया है। तीरथ सिंह रावत ने यहां चल रहे कुंभ मेले के बीच बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, मैंने देवस्थानम बोर्ड के दायरे में आने वाले 51 मंदिरों को मुक्त करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि सरकार बोर्ड के गठन के निर्णय की भी समीक्षा करेगी। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान, देवस्थानम बोर्ड को राज्य के 51 मंदिरों का प्रबंधन सौंपा गया था, जिनमें बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के चार प्रसिद्ध हिमालय मंदिर शामिल हैं। बता दें कि दिसंबर 2019 में तीर्थ पुरोहितों ने इसका विरोध किया था। इस मामले को लेकर कुछ लोगों ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी से भी संपर्क किया, जिन्होंने बाद में उत्तराखंड हाईकोर्ट का रूख किया और मंदिरों पर नियंत्रण करने के सरकार के फैसले को चुनौती थी। राज्य विधानसभा में विधेयक के उद्देश्य को बताते हुए, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा था कि मंदिरों के बेहतर प्रबंधन के लिए इस तरह का बोर्ड बनाना आवश्यक था। बहरहाल, पुष्कर सिंह धामी सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को भंग करके सरकार के पैर का कांटा निकाल दिया है। (हिफी)हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

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