अमृत उत्सव में आत्मनिर्भर भारत
(डॉ. दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
अमृत महोत्सव के अंतर्गत महारानी लक्ष्मीबाई की जन्मजयंती भी मनाई गई। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झांसी किले में आयोजित राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व में सहभागी हुए। उन्होंने कहा कि झांसी की शौर्य भूमि पर कदम पड़ते हुये प्रत्येक व्यक्ति के शौर्य की बिजली दौड़ जाती है। वह पराक्रम पराकाष्ठा का प्रतीक थी। वर्तमान समय में सशक्त और सामर्थ्यशाली भारत विकास के एक आयाम का आकार धारण कर रहा है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर हम इनके शौर्य एवं पराक्रम का स्मरण करते हैं। प्रथम स्वतन्त्रता समर में विदेशी हुकूमत को हिलाने वाली महारानी लक्ष्मीबाई जी की शौर्य गाथा को हर भारतवासी बड़ी श्रद्धा व सम्मान के साथ स्मरण करता है।रानी लक्ष्मीबाई जी ने विदेशी हुकूमत को चुनौती देते हुए कहा था कि मैं अपनी झांसी हरगिज नहीं दूंगी। यह आज भी हम सबको माता व मातृभूमि के प्रति एक नया समर्पण भाव व्यक्त करने के लिए प्रेरित करता है।
भारतीय सभ्यता दुनिया में सर्वाधिक प्राचीन व गौरवशाली है। इसको ईस्वी सन् जैसी समय सीमा में समझना असंभव है। इसका दायरा इतना सीमित नहीं है। इसके लिए सतयुग, त्रेता, द्वापर और हजारों वर्ष से चल रहे कलियुग के इतिहास का चिंतन करना होगा। इसमें असंख्य चक्रवर्ती सम्राट हुए। ऋग्वेद में सभा समिति जैसी संसदीय व्यवस्था रही। गणतंत्र के भी प्रमाण उपलब्ध है। इन सभी का उल्लेख संभव ही नहीं था। इसलिए भारत के इतिहास में परम वैभव के कुछ दस्तावेज ही समाहित हो सके। अयोध्या से लेकर राम वन गमन पथ, मथुरा गोकुल से लेकर द्वारिका तक आज भी ऐतिहासिक प्रमाण मिलते है। बाल्मीकि रामायण में अनेक उपवन व वृक्षों का उल्लेख है। इनमें कुछ जलवायु परिवर्तन के कारण विलुप्त हो चुके है। बहुत से वृक्ष आज भी श्री राम वन गमन मार्ग पर मिलते है। कुछ दिन पहले श्रीलंका के एक प्रतिनिधि मंडल ने अशोक वाटिका की शिला अयोध्या पहुंचाई थी। उनका कहना था कि श्रीलंका में आज भी श्री राम कथा से संबंधित प्रमाण है। हजारों लाखों वर्ष के इस इतिहास में परतंत्रता के पांच छह सौ वर्षों का विशेष महत्व नहीं होता। फिर भी इस अवधि में विदेशी आक्रांताओं ने भारतीय सभ्यता संस्कृति को समाप्त करने के लगातार प्रयास किये। लेकिन यह शाश्वत सभ्यता संस्कृति आज भी कायम है।
भारत राजनीतिक रूप से परतंत्र रहा, लेकिन सांस्कृतिक रूप में इसे पराधीन बनाने में आक्रांताओं को कभी सफलता नहीं मिली। इस दौरान विदेशी सत्ता के विरुद्ध लगातार संघर्ष भी चलते रहे। आजादी के अमृत महोत्सव मंे इस प्रकार के अनेक महत्वपूर्ण तथ्य उजागर हो रहे है। अनेक राष्ट्र नायक राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हो रहे है। अमृत महोत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय प्रेरणा का एक नया दिन भी घोषित किया गया। अब देश प्रतिवर्ष जनजातीय गौरव दिवस भी मनाएगा। झारखण्ड़ में बिरसा मुंडा की मूर्ति का प्रधानमंत्री ने लोकार्पण किया। भोपाल में विश्व स्तरीय रानी कमलापति रेलवे स्टेशन राष्ट्र को समर्पित किया। बिरसा मुंडा और रानी कमलापति के महान योगदान से देश की नई पीढ़ी परिचित हुई। इसके पहले भी अमृत महोत्सव के अंतर्गत अनेक उपेक्षित तथ्य प्रकाश में आये। उत्तर प्रदेश के राजकीय चिह्न में गंगा यमुना,प्रयागराज का संगम एवं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का धनुष बाण अंकित है। पं.गोविंद बल्लभ पंत ने ही मुख्यमंत्री के रूप में इस चिह्न की स्वीकृति दी थी। चैरी चैरा प्रकरण मात्र आगजनी की घटना नहीं थी। यह तो लोगों के दिलों की आग थी। इसका संदेश बड़ा व्यापक था। इसे हमेशा आगजनी के रूप में देखा गया। यह किसानों का आंदोलन था। बाबा राघव दास और महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से एक सौ पचास से अधिक लोगों को फांसी से बचा लिया गया। काकोरी घटना को ट्रेन डकैती का नाम दिया गया जबकि यह अवैध ब्रिटिश सत्ता द्वारा की जा रही अवैध लगान वसूली को चुनौती थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे ट्रेन एक्शन का उचित नाम दिया है। अमृत महोत्सव के अंतर्गत महारानी लक्ष्मीबाई की जन्मजयंती भी मनाई गई। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झांसी किले में आयोजित राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व में सहभागी हुए। उन्होंने कहा कि झांसी की शौर्य भूमि पर कदम पड़ते हुये प्रत्येक व्यक्ति के शौर्य की बिजली दौड़ जाती है। वह पराक्रम पराकाष्ठा का प्रतीक थी। वर्तमान समय में सशक्त और सामर्थ्यशाली भारत विकास के एक आयाम का आकार धारण कर रहा है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर हम इनके शौर्य एवं पराक्रम का स्मरण करते हैं। प्रथम स्वतन्त्रता समर में विदेशी हुकूमत को हिलाने वाली महारानी लक्ष्मीबाई जी की शौर्य गाथा को हर भारतवासी बड़ी श्रद्धा व सम्मान के साथ स्मरण करता है।रानी लक्ष्मीबाई जी ने विदेशी हुकूमत को चुनौती देते हुए कहा था कि मैं अपनी झांसी हरगिज नहीं दूंगी। यह आज भी हम सबको माता व मातृभूमि के प्रति एक नया समर्पण भाव व्यक्त करने के लिए प्रेरित करता है।
राष्ट्र रक्षा हम सबका मूल धर्म है। इस धर्म का पालन करके हम न केवल वर्तमान को बल्कि आने वाले भविष्य को सुरक्षित रख सकते हैं। राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व झांसी जलसा का आयोजन प्रदेश सरकार एवं केन्द्रीय रक्षा मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। इसमें कहा गया कि स्वतंत्रता के मूल्य एवं आदर्श प्रदेश सरकार को जन कल्याण के लिए प्रेरित करते हैं। डिफेंस कॉरिडोर के झांसी नोड के प्रोजेक्ट का शिलान्यास रानी लक्ष्मीबाई जयंती पर प्रधानमंत्री ने किया। प्रधानमंत्री द्वारा विगत वर्ष जनपद झांसी में रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के शैक्षणिक एवं प्रशासनिक भवनों का उद्घाटन किया गया था। हमारा देश रक्षा में भी आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। आजादी के बाद देश सामरिक आजादी की ओर कदम बढ़ा रहा है और हम मेक इन इंडिया से आगे बढ़कर मेक फॉर द वल्र्ड की ओर बढ़ रहे हैं। डिफेंस कॉरिडोर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित होगा। सेना को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। उन्हें वर्तमान चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाया जा रहा है। रक्षा उपकरणों में भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ रहा है। आज दो सौ से अधिक हथियार भारत में बनने लगे हैं। सत्तर देशों को भारत हथियारों का निर्यात कर रहा है। देश की कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एचएएल को पचास हजार करोड़ रुपये का ऐतिहासिक आर्डर दिया गया है। विगत सात वर्षों में अड़तीस हजार करोड़ रुपये के रक्षा उपकरण निर्यात किए गये हैं।
इस प्रकार अमृत उत्सव के दौरान देश को हर क्षेत्र मंे आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। (हिफी)
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