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पराए और अपने के बीच मुकुल राय

पराए और अपने के बीच मुकुल राय

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
राजनीति मंे अपने और पराये होने मंे अब देर नहीं लगती। पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ नेता मुकुल राय ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। विधानसभा चुनाव हुए। मुकुल राय भाजपा के साथ थे। जाहिर है, वे तब तक टीएमसी के लिए पराये थे लेकिन भाजपा के अपने, अब रिश्ता बदल गया है। राज्य मंे तीसरी बार ममता बनर्जी की सरकार बनी और मुकुल राय अपनी आत्मा की आवाज सुनकर जून 2021 मंे दीदी के साथ आ गये। उनकी लोकलेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष के रूप मंे नियुक्ति हुई। भाजपा विधायक अम्बिका राय ने कलकत्ता हाईकोर्ट में मुकुल राय को अयोग्य ठहराने की मांग की है। उनका तर्क है कि मुकुल राय भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर पीएसी अध्यक्ष बनाए गये थे लेकिन वह भाजपा छोड़कर टीएमसी मंे शामिल हो गये तो उनकी नियुक्ति नियमों का उल्लंघन है। इस प्रकार अपने और पराये के बीच मुकुल राय उलझ गये हैं। पीएसी विपक्षी दल से नियुक्त किया जाता है।
टीएमसी सांसद मुकुल रॉय की बंगाल विधानसभा में लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के स्पीकर से मुकुल रॉय के बीजेपी से टीएमसी में शामिल होने के बाद उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाओं पर तेजी से फैसला करने को कहा। कोर्ट ने टिप्पणी की है कि अयोग्यता वाली याचिकाओं पर निर्णय में देरी करने के लिए राज्यों के विधान सभा अध्यक्षों की प्रवृत्ति रही है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को जनवरी के तीसरे हफ्ते तक फैसला करने का इशारा किया है। जस्टिस एलएन राव और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान जस्टिस एलएन राव ने कहा, हम अभी नवंबर में हैं। हाईकोर्ट का फैसला सितंबर में आया था। तब से क्या हुआ है? क्या स्पीकर ने फैसला पारित कर दिया है? हाईकोर्ट ने सात अक्टूबर तक स्पीकर से आदेश पारित करने को कहा था। पिछले 20-25 वर्षों से ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां अयोग्यता याचिकाओं पर स्पीकर की ओर से फैसले में देरी हुई है।
बंगाल विधानसभा स्पीकर के लिए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, स्पीकर को उचित समय में निर्णय लेने दें। उनको सभी पक्षों को सुनना होगा। हाईकोर्ट ने जिस तरह से फैसला दिया है तो क्या कोर्ट स्पीकर को माइक्रोमैनेज करेंगे? बीजेपी नेता अंबिका रॉय के वकील ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में यह अपील दायर करने वाले विधानसभा स्पीकर का असली मकसद मामले में एक और साल की देरी करना है।
बंगाल विधानसभा स्पीकर ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 28 सितंबर के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। हाईकोर्ट ने उन्हें 7 अक्टूबर तक मुकुल रॉय की अयोग्यता के मुद्दे पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। मामला स्थगित हो गया और 21 दिसंबर को कलकत्ता हाईकोर्ट में अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
भाजपा विधायक अंबिका रॉय ने कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर मुकुल रॉय को इस आधार पर अयोग्य ठहराने की मांग की थी कि वह भाजपा से टीएमसी में शामिल हो गए हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने विधायक मुकुल रॉय को लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की और रॉय की नियुक्ति में नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए हस्तक्षेप का अनुरोध किया। अधिकारी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर विधायक चुने गए मुकुल रॉय सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद भाजपा के सदस्य नहीं रह गए हैं और रॉय का पीएसी अध्यक्ष बनाया जाना तय नियमों का उल्लंघन है क्योंकि इस पद पर विपक्षी दल के किसी नेता को नियुक्त किया जाता है। भाजपा नेता अधिकारी ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने अपने सदस्य को पीएसी का अध्यक्ष चुना जाना सुनिश्चित किया जोकि ऐसी संस्था है जो सरकारी खर्चों पर नजर रखती है। राजभवन जाने वाले भाजपा विधायकों के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, “हमने राज्यपाल से मुलाकात की और उनसे हस्तक्षेप की मांग की क्योंकि वह संविधान के संरक्षक हैं।” उन्होंने कहा कि भाजपा ने पीएसी अध्यक्ष पद के लिए जिन छह विधायकों की सूची दी थी, उसमें रॉय का नाम शामिल नहीं था। इससे पहले दिन में भाजपा के आठ विधायकों ने मुकुल रॉय की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के विरोध में विधानसभा की विभिन्न समितियों के प्रमुखों के रूप में इस्तीफा दे दिया।
एक समय तृणमूल कांग्रेस में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले रॉय नवम्बर 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए थे। लगभग पांच महीने पूर्व उन्होंने बीजेपी से दूरी बना रखी थी और 11 जून, 2021 पत्रकारों ने घर से निकलते समय जब रॉय से पूछा कि वह कहां जा रहे हैं तो उन्होंने जवाब दिया तृणमूल भवन। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की बीजेपी के खिलाफ धमाकेदार जीत के बाद से रॉय की घर वापसी को लेकर पिछले कुछ समय से चर्चाएं जोरों पर थीं। इन चर्चाओं को उस समय और बल मिला जब ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी के प्रमुख नेता अभिषेक बनर्जी, मुकुल रॉय से मिलने उस अस्पताल पहुंचे थे, जहां उनकी (रॉय की) पत्नी भर्ती हैं। बताया जाता है कि इसके अगले ही दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने मुकुल रॉय को फोन करके उनकी पत्नी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। राय की चुप्पी और कोलकाता में बीजेपी की अहम बैठकों में उनकी गैरमौजूदगी से उनको लेकर आ रही रिपोर्ट के सही होने के बारे में मजबूत संकेत मिला था। एक समय ममता बनर्जी के बेहद करीबी माने जाने वाले मुकुल रॉय, पहले बड़े तृणमूल नेता थे जो बीजेपी में गए थे। बाद में तृणमूल कांग्रेस के कई विधायकों और नेताओं ने भी बीजेपी का दामन थामा था। मुकुल रॉय भाजपा को छोड़ टीएमसी में वापस लौट गए हैं। अटकलों को विराम देते हुए उन्होंने घर वापसी कर ही ली।
मुकुलराय अपने घर से सीधे तृणमूल भवन पहुंचे जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले से ही मौजूद थीं। पीछे से हाल ही में पार्टी के महासचिव बने अभिषेक बनर्जी भी पहुंच गए। वहां ममता बनर्जी और मुकुल रॉय की लंबी बातचीत हुई। तृणमूल कांग्रेस से जुड़ने के बाद रॉय ने कहा, मैं बीजेपी छोड़कर टीएमसी में आया हूं, अभी बंगाल में जो स्थिति है, उस स्थिति में कोई बीजेपी में नहीं रहेगा।श्तृणमूल कांग्रेस से बीजेपी में जाने वाले बंगाल के पहले नेता मुकुल रॉय बेटे शुभ्रांशु के साथ अपनी पुरानी पार्टी के मुख्यालय पहुंचे थे। जानकारी के अनुसार, तृणमूल भवन पहुंचने के बाद रॉय सबसे पहले बिल्डिंग के अपने उस पुराने कमरे में गए जो उन्होंने 2017 में छोड़ा और फिर बीजेपी ज्वॉइन की थी। तृणमूल कांग्रेस के नेता मुकुल रॉय जो हाल ही में कृष्णानगर उत्तर विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीतकर ममता बनर्जी की पार्टी में शामिल हुए थे, ने उस वक्त पत्रकारों को चैंका दिया था जब उन्होंने कहा कि बीजेपी ही राज्य में आगामी उपचुनाव जीतेगी। हालांकि, बीजेपी ने उत्साह के साथ इस टिप्पणी का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने अनजाने में सच बोल दिया। मुकुलराय कहने वाले थे कि टीएमसी ही उपचुनाव जीतेगी। इस तरह देखें तो भाजपा भी मुकुलराय के दिल से पूरी तरह निकल नहीं पायी लेकिन पराए तो पराए ही ठहरे। (हिफी)

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