कोरोना में आयुष कारगर
(डा0 पवन गुप्ता-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
कोरोना वायरस का संक्रमण हमारे देश में अब कमजोर पड़ रहा है लेकिन यह समझना बहुत बड़ी गलती होगी कि कोविड चला गया है। हां, इस बीच भारत की परंपरा गत चिकित्सा पद्धति को परीक्षण करके देखा जा सकता है। भारत सरकार ने इसके लिए कई वैश्विक इकाइयों से समझौता भी किया है। इसके साथ ही कोरोना वायरस को लेकर फैली गलत फहमियों को भी समझ लेना चाहिए।
कोविड-19 महामारी नियंत्रित करने में परंपरागत चिकित्सा पद्धति काफी कारगर रही है। इसे देखते हुए सरकार ने आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्घ, सोवा-रिग्पा और होमियोपैथी (आयुष) को दुनिया के दूसरे देशों में पहुंचाने के लिए कमर कस ली है। इसे अंजाम देने के लिए सरकार ने कंपनियों एवं वैश्विक इकाइयों से समझौता किया है।
आयुर्वेद को जांची-परखी दवा के तौर पर बढ़ावा देने और दूसरे देशों में इसका निर्यात करने के लिए अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) ने लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन ऐंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम) के साथ एक समझौता किया है। इसके तहत अश्वगंधा (प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने वाली दवा) पर ब्रिटेन में यह जानने के लिए परीक्षण किया जाएगा कि कोविड-19 संक्रमण से उबरने में यह कैसे मदद करता है। आयुष के सचिव राजेश कोटेचा ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कहा, ब्रिटेन में यह जानने के लिए बड़े पैमाने पर परीक्षण होंगे कि अश्वगंधा किस तरह कोविड संक्रमण से लडने एवं ठीक होने में मदद करता है। हमें लगता है कि इससे यह जानने में काफी हद तक मदद मिल जाएगी कि अश्वगंधा को कोविड संक्रमण से लडने में जांची-परखी दवा के तौर पर स्थापित किया जा सकता है या नहीं। ब्रिटेन में अश्वगंधा के क्लिनिकल परीक्षण में 2,000 से अधिक लोग हिस्सा लेंगे।
मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक देश के ज्यादातर राज्यों में आयुष दवाओं के जरिये कोविड संक्रमण से निजात पाने की दर 90 प्रतिशत से अधिक रही है। कोविड-19 संक्रमण के इलाज में भारत में बड़े पैमाने पर आयुर्वेदिक एवं होमियोपैथिक दवाओं का इस्तेमाल हुआ था। कम से कम 9 राज्यों ने आयुर्वेदिक एवं होमियोपैथिक कोविड चिकित्सा केंद्र बनाए थे। ये राज्य हरियाणा, मणिपुर, मिजोरम, तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक, केरल और पुड्डुचेरी हैं। पहले चरण में आयुष का प्रभावी इस्तेमाल करने वाले केरल में ऐसे सबसे अधिक 1,206 केंद्र हैं। आयुष मंत्रालय ने जुलाई तक जो आंकड़े दिए हैं, उनसे पुष्टि होती है कि ऐसी उपचार पद्धतियां कोविड महामारी नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त हैं। उदाहरण के लिए केरल में आयुर्रक्षा क्लिनिक नाम से 1,206 केंद्रों में 3.5 लाख लोगों का इलाज हुआ था। इनमें 99.96 प्रतिशत लोग कोविड संक्रमण से पूरी तरह उबर गए। तमिलनाडु और मिजोरम में इस संक्रमण से उबरने की दर 100 प्रतिशत तक रही जबकि तेलंगाना में यह दर करीब 95 प्रतिशत रही।
इस समय कोविड के हल्के लक्षण वाले मरीजों को दी जानो वाली दवाओं में आयुष 64 (केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित) प्रमुख है। कोटेचा ने कहा कि 29 औद्योगिक साझेदारों को यह तकनीक स्थानांतरित की जा चुकी है। यह ऐसे समय में हुआ है जब परंपरागत दवाओं का निर्यात वर्ष 2020-21 में 1.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया। आयुर्वेदिक दवाओं का कुल निर्यात मूल्य 2018-19 में 44.6 करोड़ डॉलर था। बजट में भी आयुष के लिए प्रावधान बढ़ाया गया है और यह वर्ष 2014-15 से करीब पांच गुना तक बढ़ चुका है। पिछले छह वर्षों में भारत में आयुर्वेद उद्योग की सालाना वृद्धि दर 17 प्रतिशत रही है।
हालांकि उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार द्वारा साझा की गई संख्या पूर्ण संख्या से काफी कम है, क्योंकि अधिकांश आयुष क्लीनिक असंगठित क्षेत्रों में हैं।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के निदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने गत दिनों कहा कि कोविड-19 रोधी टीके की बूस्टर खुराक (यानी तीसरी खुराक) देने की जरूरत के समर्थन में अब तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं आए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि फिलहाल वयस्क आबादी को टीके की दूसरी खुराक दी जाए। सूत्रों के मुताबिक, भारत में टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) की अगली बैठक में बूस्टर खुराक को लेकर चर्चा की जा सकती है। भार्गव ने बताया, सरकार की फिलहाल प्राथमिकता है कि संपूर्ण वयस्क आबादी को टीके की दूसरी खुराक लगाई जाए और न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में टीकाकरण सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा, वहीं, कोविड के खिलाफ बूस्टर खुराक की जरूरत का समर्थन करने के लिए अब तक वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है। बूस्टर खुराक लगाने की संभावना पर केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने हाल में कहा था कि टीकों का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है और लक्ष्य है कि सभी को टीके की दोनों खुराकें लगाई जाएं।
उन्होंने कहा था कि विशेषज्ञों की सिफारिश के आधार पर बूस्टर खुराक पर निर्णय लिया जाएगा। मंत्री ने कहा था, सरकार ऐसे मामले में सीधा फैसला नहीं ले सकती है। जब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और विशेषज्ञ टीम कहेगी कि बूस्टर खुराक दी जानी चाहिए, तब हम इस पर विचार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा विशेषज्ञ की राय पर निर्भर रहे हैं, चाहे वह टीके का अनुसंधान हो, निर्माण हो या मंजूरी हो। अधिकारियों के अनुसार, भारत में लगभग 82 प्रतिशत पात्र आबादी को टीके की पहली खुराक लग गई है, जबकि लगभग 43 प्रतिशत जनसंख्या का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। नवम्बर 23 के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोविड रोधी टीके की कुल 116.87 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं। (हिफी)
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