विपक्षी मोर्चे में ममता का ऐलान-ए-जंग
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
भाजपा के खिलाफ विपक्ष का नेता कौन हो? इस सवाल का जवाब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दे दिया है। उन्हांेने तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक मंे खुद की मुख्तारी का ऐलान भी कर दिया। बैठक में कई मुद्दों पर मंथन हुआ। कांग्रेस के साथ टीएमसी के संबंधों पर भी चर्चा हुई टीएमसी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने तय किया कि कांग्रेस अगर टीएमसी से जुड़ती है तो उसका स्वागत किया जाएगा लेकिन भाजपा से टीएमसी लड़ेगी। ममता बनर्जी के नेतृत्व में ही भाजपा से जंग लड़ी जाएगी। अभी कुछ दिन पहले ही ममता बनर्जी ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। इसी के बाद उन्हांेने कहा था कि वे चाहती हैं उत्तर प्रदेश मंे भाजपा को पराजय मिले। दिल्ली दौरे के समय उन्हांेने कांगे्रस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने की जरूरत भी नहीं समझी थी। अब वे मंुबई के दौरे पर हैं और शरद पवार के साथ बैठ कर रणनीति तय करना चाहती हैं। भाजपा के साथ त्रिपुरा मंे नगर निगम चुनाव को लेकर ममता हालांकि लड़ाई हार गयी हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी मोर्चे की नेता वो बनना चाहती हैं।
विपक्षी दलों की मुख्तारी की घोषणा कर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दो दिन के मुंबई दौरे पर पहुंची। इस दौरान वो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात कर सकती हैं। इतना ही नहीं ममता बनर्जी इस दौरान सिद्धिविनायक मंदिर दर्शन करने के लिए भी जाएंगी। संभावित कार्यक्रम के अनुसार 30 नवम्बर शाम पांच बजे ममता बनर्जी मुंबई एयरपोर्ट पहुंचेगी जिसके बाद वो सीधा सिद्धिविनायक मंदिर दर्शन करने के लिए जाएंगी। उसके बाद शिवसेना सांसद संजय राऊत की बेटी की शादी समारोह में शामिल होने के लिए जा सकती हैं। ममता बनर्जी अपने इस दौरे के दौरान शिवसेना प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी मुलाकात कर सकती है। दरअसल स्वस्थ कारणों के चलते ये मुलाकात टाली भी जा सकती है। कुछ समय पहले ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की स्पाइन सर्जरी हुई है। ममता बनर्जी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के साथ भी मुलाकात कर सकती हैं। इस दौरान ये दोनों नेता कई मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। इसके अलावा एक दिसंबर को ममता बनर्जी मुंबई में होने वाले यंग प्रेसिडेंट्स ऑर्गनाइजेशन, समिट में भी शामिल होंगी। इस दौरान वो उद्योगपतियों के साथ मीटिंग करेंगी और पश्चिम बंगाल में निवेश करने पर बातचीत करेंगी। अभी तक के तय कार्यक्रम के अनुसार ममता बनर्जी मुंबई में किसी भी कांग्रेस के नेता के साथ मुलाकात नहीं करेंगी। ममता बनर्जी ने कांग्रेस से पूरी तरह से दूरी बनाकर रखी हुई है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को संकेत दिया कि वह अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के विस्तार कार्यक्रम को जारी रखेंगी और इस सिलसिले में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और विपक्षियों के बड़े गढ़ मुंबई का दौरा भी करेंगी। उन्होंने एक बड़ा संकेत इस बात का दिया कि कांग्रेस उनकी योजनाओं पर कब्जा कर सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर ममता बनर्जी ने कहा कि फिलहाल मीटिंग तय नहीं है, क्योंकि वे पंजाब चुनाव में व्यस्त हैं। बाद में, उन्होंने कहा, हम हर बार सोनिया गांधी से क्यों मिलें?
बनर्जी ने कहा, ‘‘इस बार मैंने मुलाकात के लिए सिर्फ प्रधानमंत्री का समय मांगा था। सभी नेता पंजाब के चुनाव में व्यस्त हैं। काम पहले है। हर बार हमें सोनिया गांधी से क्यों मिलना चाहिए? यह संवैधानिक रूप से बाध्यकारी थोड़े ही है? उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। ममता की यह टिप्पणी उनकी पार्टी के एक बड़े विस्तारवादी होड़ के बीच आई है- जिसके तहत अधिकांश कांग्रेस नेता में टीएमसी शामिल हो रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों में, कई नेताओं ने पाला बदल दिया है- इनमें गोवा के पूर्व सीएम लुइजिन्हो फलेरियो, दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी, सिलचर से कांग्रेस की पूर्व सांसद और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे संतोष मोहन देव की बेटी सुष्मिता देव शामिल हैं। ममता बनर्जी सोनिया गांधी के साथ अच्छे समीकरणों के लिए जानी जाती हैं, लेकिन यह अगली पीढ़ी तक नहीं बढ़ सकी। बंगाल कांग्रेस नेताओं की बनर्जी के प्रति उदासीनता ने दोनों दलों के बीच दरार को और बढ़ा दिया।
पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में हुए विधानसभा चुनावों में जीत के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि ममता बनर्जी 2024 के आम चुनावों में भाजपा के खिलाफ विपक्षी चुनौती का नेतृत्व कर सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह आगामी उत्तर प्रदेश चुनावों में सहयोग करने को तैयार हैं। ममता ने कहा, अगर तृणमूल यूपी में बीजेपी को हराने में मदद कर सकती है, तो हम जाएंगे। अगर अखिलेश (समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव) हमारी मदद चाहते हैं तो हम देंगे। उन्होंने कहा, हमने गोवा और हरियाणा में शुरुआत की है। लेकिन मुझे लगता है कि कुछ जगहों पर क्षेत्रीय दलों को ही लड़ने दें। अगर वे चाहते हैं कि हम प्रचार करें, तो हम मदद करेंगे।
बता दें कि कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद और कांग्रेस की हरियाणा इकाई के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। उन्होंने कहा कि वह वाराणसी भी जाएंगी क्योंकि ‘‘कमलापति त्रिपाठी का परिवार अब हमारे साथ है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के पोते और पड़पोते राजेशपति और ललितेशपति त्रिपाठी अक्टूबर में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
त्रिपुरा में अगरतला नगर निगम (एएमसी) और 13 नगर निकायों की 222 सीट के लिए बीजेपी ने जबरदस्त जीत ने हासिल की है। बीजेपी ने कुल 222 सीटों में 217 सीटों पर जीत हासिल कर विपक्षी दल कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य को चारों खाने चित कर दिया। निर्विरोध निर्वाचित सीटों को मिला दिया जाए तो 334 सीटों में 329 बीजेपी की झोली में गई हैं। यहां पर टीएमसी ने सीधा मुकाबला किया था।
त्रिपुरा निकाय चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल की है। उसने 222 में से 217 सीटों पर चुनाव जीत लिया है। त्रिपुरा में शहरी निकाय, एएमसी के 51 वार्ड, 13 नगरपालिका परिषदों और 6 नगर पंचायतों की कुल 334 सीटों पर चुनाव हुआ था। इसमें से शहरी निकाय चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है।बीजेपी ने 51 सदस्यों वाले अगरतला नगर निगम (एएमसी) की सभी सीटें जीत ली हैं। विपक्षी तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम एएमसी में खाता भी नहीं खोल पाई।हां, सत्तारूढ़ दल ने 15 सदस्यीय खोवाई नगर परिषद, 17 सदस्यीय बेलोनिया नगर परिषद, 15 सदस्यीय कुमारघाट नगर परिषद और नौ सदस्यीय सबरूम नगर पंचायत के सभी वार्ड में जीत हासिल की। पार्टी ने 25 वार्ड वाले धर्मनगर नगर परिषद, 15 सदस्यीय तेलियामुरा नगर परिषद और 13 सदस्यीय अमरपुर नगर पंचायत में विपक्षी दलों का सूपड़ा साफ कर दिया। इससे पहले पश्चिम बंगाल मंे टीएमसी ने भाजपा को धूल चटायी थी। इसलिए त्रिपुरा ने ममता बनर्जी के नेतृत्व पर सवाल उठाया है। (हिफी)हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
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