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जगन मोहन भी बैकफुट पर

जगन मोहन भी बैकफुट पर

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
प्रजातंत्र मंे प्रजा अर्थात् जनता ही सबसे बड़ी है और उसके सामने सरकारों को झुकना पड़ता है। यह बात एक बार फिर आंध्र प्रदेश में साबित हुई है। आंध्र प्रदेश मंे जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने इसी साल सम्पन्न हुए जिला परिषद प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र (जेडपीटीसीएस) और मंडल परिषद निर्वाचन क्षेत्रों (एमपीटीसीएस) के चुनाव मंे क्रमशः 99 और 90 प्रतिशत सफलता प्राप्त की थी, फिर भी सरकार को तीन राजधानियों वाला बिल वापस लेना पड़ा है। इस बिल का पहले विपक्षी दल ही विरोध कर रहे थे लेकिन बाद मंे जनता भी विरोध करने लगी थी। जगन मोहन रेड्डी ने राज्य मंे तीन राजधानियां बनाने का विधेयक पारित करा लिया था। आंध्र प्रदेश का विभाजन होने के बाद राजधानी हैदराबाद नये राज्य तेलंगाना के हिस्से मंे आ गयी। इसलिए आंध्र प्रदेश को नयी राजधानी तलाश करनी पड़ रही है। जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने विशाखापट्टनम, अमरावती और कर्नूल को राजधानी घोषित किया था।
आंध्र प्रदेश सरकार ने भारी विरोध के बाद विवादित तीन राजधानी विधेयक वापस लेने का फैसला किया है। इस बिल में विजाग यानी विशाखापट्टनम को कार्यकारी राजधानी, अमरावती को विधायिका राजधानी और करनूल को न्यायिक राजधानी बनाने का प्रस्ताव किया गया था। एडवोकेट जनरल एस सुब्रमण्यम ने गत 22 नवम्बर को हाईकोर्ट में बताया कि राज्य के सीएम वाईएस जगनमोहन रेड्डी इस बारे में जल्द ही विधानसभा में बड़ा ऐलान करेंगे। गौरतलब है कि इस बिल को हाईकोर्ट में कई याचिकाओं में चुनौती दी गई थी। सूत्रों ने बताया कि पिछले साल पारित किए गए इस बिल को वापस लेने का फैसला एक इमरजेंसी मीटिंग में लिया गया। जानकारी के अनुसार, बदलाव के साथ इस बिल को फिर लाया जा सकता है। किसान और जमीन मालिक इस प्रस्तावित बिल से काफी खफा थे। पिछले कुछ समय से इसके विरोध में कई प्रदर्शन भी हो रहे थे।किसानों द्वारा 1 नवंबर से अमरावती से तिरुपति तक 45 दिन की पैदल मार्च निकाला गया था। प्रदर्शनकारी नेल्लोर तक पहुंचे थे। सरकार लोकप्रिय है। मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली युवाजन श्रमिक रायतू कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों में बड़ी जीत हासिल की है। घोषित नतीजों में अंतिम रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी ने मंडल परिषद प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों की करीब 90 प्रतिशत और जिला परिषद प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों की 99 प्रतिशत सीटों पर क्लीन स्वीप जीत हासिल की है। जेडपीटीसीएस की 515 और एमपीटीसीएस की 7,220 सीटों के लिए 8 अप्रैल को चुनाव हुए थे। इसके नतीजे पहले 10 अप्रैल को घोषित होने वाले थे लेकिन आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने तेलुगु देशम पार्टी और बीजेपी द्वारा दायर याचिकाओं के आधार पर मतगणना पर रोक लगा दी थी। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की तारीख से अनिवार्य आदर्श आचार संहिता का पालन नहीं किया गया था। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मतगणना के लिए आखिरकार हरी झंडी दे दी थी। नतीजे सामने आये।
वाईएसआर कांग्रेस ने कुल 553 में से 547 जेडपीटीसीएस सीटें जीत ली थीं। एमपीटीसीएस के नतीजे और भी आश्चर्यजनक रहे हैं। वाईएसआर कांग्रेस ने 8083 सीटों में से 7284 सीटें जीती। बीजेपी और उसके गठबंधन सहयोगी जन सेना जिला परिषद में एक भी सीट नहीं जीत सकी, जबकि मंडल परिषद चुनावों में क्रमशः 23 और 85 सीटें जीती हैं।
केवल एक दशक पहले स्थापित वाईएसआर कांग्रेस ने हाल ही में हुए चुनावों में राज्य की 75 नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में से 74 में जीत हासिल की और सभी 12 नगर निगमों को अपनी झोली में डाल लिया है। 2019 में, पार्टी ने आम चुनावों में 175 विधानसभा सीटों में से 151 और 25 लोकसभा सीटों में से 22 पर जीत हासिल की थीं। पार्टी अपने सपने को पूरा करने का श्रेय जगनमोहन रेड्डी की सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं को दे रही है। जगन सरकार ने महिलाओं, पिछड़े समुदायों और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए भी कई योजनाएं लागू की हैं। यही कारण रहा कि गत दिनों उप चुनावों में आंध्र प्रदेश के तिरुपति लोकसभा सीट पर वाईएसआर कांग्रेस के एम गुरुमूर्ति ने तेलुगू देशम की पनाबाका लक्ष्मी को 2,71,592 वोटों के भारी अंतर से हराया।
इतना सब होते हुए भी जनता को तीन राजधानियों की बात अच्छी नहीं लग रही थी। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष चंद्रबाबू नायडू सदन मंे रोने लगे तो जनता की नाराजगी बढ़ गयी। तेलुगु देशम पार्टी ने आंध्र प्रदेश विधानसभा से वाकआउट करने के बाद आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में लाइव टेलीविजन पर चंद्रबाबू फूट-फूटकर रोने लगे। नायडू ने कहा कि सदस्यों द्वारा उन्हें और पत्नी को अपमानित किए जाने के विरोध में उन्होंने ये फैसला लिया है। नायडू ने कहा, पिछले ढाई साल से मैं अपमान सह रहा हूं लेकिन शांत रहा। आज उन्होंने मेरी पत्नी को भी निशाना बनाया है, मैं हमेशा सम्मान के लिए और सम्मान के साथ रहा हूं। मैं इसे और नहीं सह सकता। नायडू ने कहा कि उन्हें अपनी पत्नी का बचाव करने के लिए बोलने तक का मौका नहीं दिया गया। रिपोर्टों के अनुसार, अध्यक्ष तम्मिनेनी सीताराम ने नायडू का माइक काट दिया था। वहीं सत्ताधारी पार्टी के विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री की टिप्पणी को नाटक करार दिया। उन्होंने कहा, मुझे की गई टिप्पणियों पर बयान देने का भी मौका नहीं दिया गया है। इसलिए, मैंने विधानसभा से वॉक करता हूं। सदन ने मेरा अपमान किया है। मैं मुख्यमंत्री बनने तक यहां वापस नहीं लौटूंगा। विधानसभा अध्यक्ष तम्मिनेनी सीताराम ने जब उनका माइक संपर्क काट दिया, तब भी नायडू ने बोलना जारी रखा। कृषि क्षेत्र पर एक संक्षिप्त चर्चा के दौरान सदन में दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने निराशा व्यक्त की। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी पलटवार करते हुए कहा कि यह उनके प्रतिद्वंद्वी थे जिन्होंने व्यक्तिगत टिप्पणी की थी और उनकी पार्टी के नेताओं ने केवल कुछ टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया दी थी। न केवल मुझे बल्कि राज्य में भी हर कोई जानता है कि लोगों ने उन्हें नकार दिया है। यहां तक कि उन्हें अपने कुप्पम निर्वाचन क्षेत्र में भी हार का सामना करना पड़ा।
आंध्र प्रदेश में कुछ मंदिरों में मूर्तियों को अपवित्र करने की घटना से भी राज्य में राजनीतिक तूफान उठ खड़ा हुआ है। कुछ विपक्षी दलों ने वाई एस जगनमोहन रेड्डी सरकार पर बरसते हुए उसे इन हमलों के लिए पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया है। इस पर पलटवार करते हुए सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं ने तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू पर सरकार के खिलाफ द्वेष फैलाने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया है। विजयनगरम जिले के प्रसिद्ध रामतीर्थम पहाड़ी मंदिर में गत वर्ष 28 दिसंबर की रात भगवान राम की मूर्ति को विरूपित किया गया। इसके दो दिनों बाद राजामहेंद्रवरम में एक मंदिर में सुब्रह्मणेश्वर स्वामी की मूर्ति के हाथ और पैर टूटे हुए पाए गए। इन दो घटनाओं से राज्य में विवाद पैदा हो गया और विपक्षी दलों ने मंदिरों की रक्षा करने में विफल रहने के लिए सरकार पर प्रहार किया। चन्द्रबाबू इन सभी मुद्दों को उठा रहे थे। इसलिए सरकार ने राजधानी बिल वापस लिया है।हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

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