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संविधान दिवस पर

संविधान दिवस पर 

मैं हूँ भारत का संविधान ,दुनिया में जाना पहचाना ।
अपने जख्मों पर रोता हूँ ,मेरे दुख का यह पैमाना ।।

कोई दल आया हिला गया ,कोई दल आया झुला  गया ।
आतंकी कुत्तों का टोला ,अंतस तक शोणित पिला गया ।
सारे दल मेरे शोषक हैं ,सब मुझ पर दांव लगाए है ,
भूखे बच्चों के कृन्दन को ,मैं देख देख तिलमिला गया  ।
अधिकारों के सब सौदागर , कर्तव्यों का अहसास नहीं ,
पचपन सालों तक झेला है ,घोटालों का ताना बाना ।।
मैं हूँ भारत का संविधान, दुनिया में जाना पहचाना ।।1

संसोधन होते बार बार, जिनकी सीमा का अंत नहीं ।
हर मौसम ही वीराना है ,मेरे घर खिला वसंत नहीं ।
सौ से भी अधिक घाव देखो ,मेरी इस जर्जर काया में ,
लगता है अब तो न्यायालय ,संसद भी मेरे कंत नहीं ।
मुझ पर ही धूल उड़ाते हैं ,कुछ जाति धर्म के गठबंधन ,
रोजाना घेर रहा मुझको ,तूफान मजहबी दीवाना ।।
मैं भारत का संविधान ,दुनिया में जाना पहचाना ।।2

मुझको धर्म हीन बतलाकर ,तुमने ही निरपेक्ष बनाया ।
बिना आत्मा के क्या कोई ,जीवित रह सकती है काया ।
मेरी नीव खोदने वालो , सभी दलों के  जीजा सालो ,
भूल गए नेता सुभाष को , जिसने कुछ सम्मान दिलाया ।
सब सोच समझ मतदान करो ,सच्चे नेता का मान करो ,
भारत फिर से होगा महान , मेरा बस ये ही  परवाना ।।
मैं हूँ भारत का संविधान ,दुनिया में जाना पहचाना ।।3

मेरी चाहत है इतनी हम ,दुनिया में अपना नाम करें ।
झगड़ें ना एक दूसरे से ,सब अपना अपना काम करें ।
मेरा तन बेसक घायल है ,पर मन सरहद पर रहता है ,
आरोप मढ़ें ना सेना पर , ना बिना बात बदनाम करें ।
"हलधर" सीमा पर घूम रही है लाल दुसाले में डायन ,
बासठ जैसी गलती ना हो , दोबारा ना हो  पछताना ।।
मैं हूँ भारत का संविधान ,दुनियां में जाना पहचाना ।।4

               हलधर
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