Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

मजदूर....

मजदूर....

शाम के वक़्त
जब मजदूर लौटते हैं
अपने घरों की और
होता है उनके चेहरे पर
आत्मसंतुष्टि का भाव
मेहनत कर कमाने का।
मजदूर
भविष्य के बारे मे
अधिक नहीं सोचता।
वह
मेहनत करता है
कमाता है
सुख दुःख संग-संग जीता
आज और बस
कल के लिए।
मजदूर
नहीं करता पूजा प्रतिदिन
किसी भगवान की
कुछ पाने के लिए
वह करता है
धन्यवाद
ईश्वर का
उसे काम देने के लिए।
मजदूर करता है पूजा
अपने इष्ट की
सम्पूर्ण समर्पित भाव से
वर्ष मे एक या दो बार
अवसर विशेष पर
और कर देता है
सब कुछ अर्पण
इष्ट देव के चरणों मे
आस्था के साथ
जो भी है उसके पास।
मजदूर
बहुत संतुष्ट होता है।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ