कनफेडरेशन ऑफ इंडिया इंडस्ट्री (सीआईआई) बिहार की ओर से सरकार से 11 सूत्री शिफारिश
पटना 30 जनवरी 2022 - श्री नरेंद्र कुमार, सीआईआई, बिहार राज्य परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को हर साल नए उपाय पेश करने के बजाय अगले बजट में इनवेस्टमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर देना चाहिए।
श्री नरेंद्र कुमार ने कहा कि महामारी की हर वेव के साथ सरकार और उद्योग मुश्किलों से उबरने में ज्यादा सक्षम हुए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इम्प्लॉयमेंट को प्रोत्साहन देना चाहिए और खपत बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यदि हमने पिछले वर्षों में जो कहा था, उसे लागू करते हैं तो यह बड़ी प्रगति होगी। यदि मुझे अपनी सिफारिशों को आगे रखना है- तो पहले सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर और इनवेस्टमेंट पर फोकस बनाए रखना है क्योंकि इससे डिमांड, जॉब्स पैदा करने और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में सहायता मिलती है।” इसके साथ उन्होंने कनफेडरेशन ऑफ इंडिया इंडस्ट्री (सीआईआई) बिहार की ओर से इन 11 सूत्री सिफारिशों को रखा
1. शैक्षणिक संस्थानों और उच्च शिक्षा संस्थानों को वित्त पोषण और अनुसंधान अनुदान प्रदान करना।
2. डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए स्कूलों को विशेष बजट का प्रावधान।
3. विद्यालय-शिक्षकों के कौशल विकास/उन्नयन के लिए धन उपलब्ध कराना।
4. कुछ मौजूदा उद्योगों को समायोजित करने के लिए पटना के मास्टर प्लान में भी संशोधन की आवश्यकता है। इसके अलावा मास्टर प्लान में कुल भूमि का कम से कम 3% औद्योगिक भूमि के रूप में निर्धारित किया जाना चाहिए।
5. पंजीकरण पर स्टांप शुल्क 6% से घटाकर 2% किया जाना चाहिए जैसा कि कुछ राज्यों में लागू है। कोर्ट फीस को भी 30000 रुपये की ऊपरी सीमा के साथ 2% तक कम किया जाना चाहिए।
6. बैंक ऋण समझौते पर स्टाम्प परिवर्तन को बैंक ऋणों में बाद के परिवर्तनों के लिए 50000 रुपये तक सीमित किया जाना चाहिए।
7. विभाग के भीतर फाइलों की आवाजाही ऑनलाइन और पेपरलेस होनी चाहिए
8. बिहार में औद्योगिक भूमि के लिए अलग से एमवीआर बनाया जाए।
9. अनुबंध का प्रवर्तन एक समान होना चाहिए। मानक बोली अनुबंध प्रणाली होनी चाहिए। संदर्भ नीति आयोग अनुबंध प्रणाली से लिया जा सकता है।
10. ट्रेवल एवं टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी - होटल उद्योग (रेस्तरां और फूड कोर्ट सहित) के लिए भी राज्य में अन्य विनिर्माण क्षेत्र के लिए विशेष ध्यान के साथ बिजली सब्सिडी का विशेष प्रावधान होना चाहिए11. हेल्थकेयर पर बढ़े खर्च- क्योंकि मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए लोगों का खर्च (आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च) अभी भी ज्यादा है।
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