1857 की क्रांतिवीर जीवधर सिंह
सत्येन्द्र कुमार पाठक
मगध क्षेत्र में आजादी के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की मशाल को प्रज्वलित करने वाले बिहार का अरवल जिले के अरवल प्रखण्डान्तर्गत खभैनी निवासी जीवधर सिंह अग्रसर थे। 1857 का क्रांतिवीर जीवधर सिंह के नेतृत्व में गया , नवादा , औरंगाबाद , पलामू , नालंदा , पटना , अरवल और जहानाबाद जिले के क्षेत्रों में अंगे्रजी टूकड़ी के खिलाफ जबर्दस्त छापेमारी अभियान चलाया गया था। 1857 की क्रांति ने अंग्रेजी फौज के भारतीय सैनिकों को प्रभावित किया। दानापुर की तीन टुकड़ियों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ 25 जुलाई 1857 को विद्रोह कर दिया । जब विद्रोह की खबर अरवल में बाबू जीवधर सिंह को मिलने के बाद सोन नदी पार कर जगदीशपुर पहुंच गए। कुंवर सिंह की सलाह से उन्होंने विद्रोहियों की फौज गठित की। उनके नेतृत्व में गया, पलामू, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल आदि स्थानों पर अंग्रेजी सत्ता की निशानियों पर सफल हमला किया गया। गया स्थित जेल पर हमला किया था। जब अंग्रेजी फौज का शिकंजा कसने लगा तभी जीवधर सिंह अपने 900 सहयोगियों के साथ पलामू के जंगलों में जा छिपकर छापामार लड़ाई लड़ते रहे। लेकिन वे गिरफ्तार कर लिए गए । जीवधर सिंह को अप्रैल 1859 में फांसी दे दी गई । एल एस एस ओ मॉलोजी , इंडियन सिविल सर्विस द्वारा लिखित गजेटियर ऑफ द गया डिस्ट्रिक्ट 1906 एवं पी सी राय चौधरी स्पेशल ऑफिसर गजेटियर रिविज़न सेक्शन रेवेन्यू डिपार्टमेंट बिहार पटना का बिहार डिस्ट्रिक्ट गजेटियर्स गया 1957 के अनुसार क्रांतिकारी जीवधर सिंह के कार्यकलापों की निगरानी के लिए 28 जुलाई 1857 में कलेक्टर मिस्टर अलोंजो मोनी द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था । ब्रिटिश सरकार के काले कारनामों के विरुद्ध संघर्ष करने वाले जीवधर सिंह पर निगरानी के लिए भागलपुर , नवादा , औरंगाबाद अरवल एवं दानापुर में यूरोपियन पुलिस तैनात किया गया था । 45 वर्षीय जीवधर सिंह द्वारा नजीब दल, लेबर फोर्स का गठन कर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ बगावत का विगुल फूक दिया गया था । ब्रिटिश सरकार के यूरोपियन फोर्स द्वारा 200 आंदोलनकरी गिरफ्तार कर गया जिले के शेरघाटी जेल में दाल दिया गया । जीवधर सिंह की सुरक्षा के लिए 80 निजी सेनाओं के साथ गन , शस्त्र और अस्त्र तैनात थे ।निगरानी के लिए भागलपुर , नवादा , औरंगाबाद अरवल एवं दानापुर में यूरोपियन पुलिस तैनात किया गया था । 45 वर्षीय जीवधर सिंह द्वारा नजीब दल, लेबर फोर्स का गठन कर ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ बगावत का विगुल फूक दिया गया था । ब्रिटिश सरकार के यूरोपियन फोर्स द्वारा 200 आंदोलनकरी गिरफ्तार कर गया जिले के शेरघाटी जेल में दाल दिया गया । जीवधर सिंह की सुरक्षा के लिए 80 निजी सेनाओं के साथ गन , शस्त्र और अस्त्र तैनात थे ।
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