पड़ोसियों के लिए सिरदर्द है चीन
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में यह बात जोर-शोर से कही जाती है कि हमें अपने आस-पास के देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखने चाहिए। हमारा एक पड़ोसी देश चीन संभवतः इस भाषा को नहीं समझता है। भारत के साथ सीमा विवाद पुराना है। चीन ने हमारी हजारों वर्ग मील जमीन हथिया ली है लेकिन इसके बाद भी वह भारतीय भूभाग पर अपना अधिकार जताता रहता है। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि चीन पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर एक पुल का निर्माण कर रहा है। गलवान घाटी में उसने अपना झंडा फहराकर भारत को मजबूर किया कि उसके सैनिक भी तिरंगा लेकर खड़े हो गये। चीन इसका भी विरोध कर रहा है। इसी प्रकार चीन ने पड़ोसी देश श्रीलंका को विनाशकारी आर्थिक संकट में डाल दिया है। श्रीलंका को उसने कर्ज के जाल में फंसा दिया है।
भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठान सूत्रों ने नए साल के जश्न के तहत पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में एक बड़ा तिरंगा पकड़े भारतीय सेना के जवानों की तस्वीरें जारी कीं। इसे चीन के सरकारी मीडिया द्वारा जारी उस वीडियो के जवाब में जैसे को तैसा वाली प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें तीन दिन पहले गलवान घाटी क्षेत्र के पास एक स्थान से चीनी लोगों को नए साल की बधाई भेजने वाले पीएलए सैनिकों का एक कथित वीडियो साझा किया गया था। चीन के सरकारी मीडिया की ओर से एक जनवरी को साझा किए गए एक वीडियो में कथित तौर पर चीनी सैनिकों को गलवान घाटी से चीन के लोगों को नए साल का बधाई संदेश भेजते दिखाया गया था जो कि एक इंच भी जमीन नहीं देंगे का संकल्प लेते सुने जा सकते हैं। गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बावजूद चीन पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में जारी सैन्य गतिविधियों के बीच उकसावे से भरी हरकतें करने से बाज नहीं आ रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन लद्दाख की पैंगोंग झील के अपने कब्जे वाले क्षेत्र में एक पुल का निर्माण कर रहा है। यह क्षेत्र पिछले साल दोनों सेनाओं के बीच टकराव का मुख्य बिंदु था। यह पुल पैंगोंग झील के एक हिस्से में बनाया जा रहा है और चीन के नियंत्रण वाले क्षेत्र में आता है। यह झील के दोनों किनारों को जोड़ता है। झील के ऊपर पुल बन जाने से चीनी सैनिकों और रसद को वहां पहुंचने के कई रास्ते खुल जाएंगे। इससे चीन उन संवेदनशील इलाके में कम वक्त में तेजी से ज्यादा सैनिकों को पहुंचा सकता है। इससे जुड़ी सैटेलाइट तस्वीरें हासिल करने वाले जियो इंटेलीजेंस एक्सपर्ट डेमियन सिमोन ने संकेत दिया है कि चीन संभवतः पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील पर एक पुल का निर्माण कर रहा है। सिमोन के ट्वीट से यह संकेत मिलता है कि यह पुल झील के संकरे रास्ते पर लगभग पूरी तरह बनकर तैयार हो चुका है। पिछले साल भारतीय सैनिक यहां पैंगोंग झील के दक्षिण किनारे पर महत्वपूर्ण कैलाश रेंज की चोटी तक पहुंच गए थे। इससे भारतीय सेना को चीनी सेना के मुकाबले थोड़ी सामरिक बढ़त मिल गई थी। इस पुल के बनते ही चीन के पास इस विवादित क्षेत्र में सैनिकों को पहुंचाने के लिए कई रास्ते खुल जाएंगे। इस इलाके में पिछले साल दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। हालांकि लंबी सैन्य वार्ता के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने पीछे हटने का फैसला किया था। वर्ष 2020 से चीन और भारत के करीब 50 हजार सैनिक पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में तैनात हैं और उत्तर में डेपसांग प्लेन से लेकर सुदूर दक्षिण में डेमचोक इलाके तक तैनात हैं। जून 2020 में गलवान घाटी के इलाके में हुए खूनी संघर्ष के दौरान 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे जबकि चीन का कहना है कि उसके चार सैनिकों की मौत हुई, हालांकि भारत लगातार यह कहता रहा है कि चीन के 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे।
पिछले साल जुलाई में भारत और चीन टकराव वाली जगह से 2-2 किलोमीटर पीछे हटने पर सहमत हुए थे। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत के बाद यह फैसला हुआ था। सैन्य सूत्रों ने बताया है कि चीनी मीडिया के ट्विटर हैंडल पर जो नया वीडियो है, जिसमें गलवान घाटी में चीन का झंडा लहराता हुआ दिख रहा है, वो दोनों देशों के बीच असैन्य क्षेत्र घोषित हुए इलाके का उल्लंघन नहीं करता। गलवान घाटीपर चीन के प्रोपेगेंडा वीडियो मामले में किसी भी तरह के हस्तक्षेप या इसे बैन करने की कोई जरूरत नहीं है। भारत सरकार के उच्च पदस्थ सूत्र ने यह बात कही है। उन्होंने कहा है कि यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि गलवान घाटी पर चीनी दावे से संबंधित जो वीडियो दिखाया जा रहा है वह वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की तरफ का है। इसलिए इस पर कोई स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं है। यह वीडियो विवादित जगह का नहीं है। नए साल के पहले दिन चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें चीनी सैनिक चीन का राष्ट्रगान गा रहे थे और दावा किया गया था कि जिस गलवान घाटी के लिए भारत-चीन के बीच हिंसक झड़प हुई थी वह हिस्सा अब चीन का है। विश्लेषकों का कहना है कि एक आम आदमी के लिए यह वीडियो गलवान घाटी के विवादित क्षेत्रों में शूट किया गया प्रतीत हो सकता है लेकिन यह वीडियो चीन की तरफ का है। दिलचस्प बात यह है कि जिस दिन ग्लोबल टाइम्स ने इस वीडियो को जारी किया उसी दिन भारतीय और चीनी सेनाओं ने कई स्थानों पर एक-दूसरों के साथ गिफ्ट्स का आदान-प्रदान भी किया था। बहरहाल, चीन के इरादे नेक नहीं हैं। श्रीलंका में खाद्य कीमतें आसमान छू रही हैं जिसके कारण उसके खजाने समाप्त हो रहे हैं। इसी के साथ आशंका है कि 2022 में श्रीलंका दिवालिया हो सकता है। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के नेतृत्व में सरकार मंदी, कोरोना संकट के तत्काल प्रभाव और पर्यटन के नुकसान का सामना कर रही है, लेकिन उच्च सरकारी खर्च और कर कटौती से राज्य के राजस्व में कमी, विशाल ऋण चुकौती एक जटिल समस्या बन गई है। श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार एक दशक में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुच गया हैं। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने जब नवंबर 2019 में देश का पदभार संभाला था, उस वक्त विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 बिलियन डॉलर था, जो कि 2021 के अंत तक गिरकर 2.5 बिलियन डॉलर ही रह गया है। विदेशी मुद्रा भंडार में कमी ने विदेशी कर्ज चुकाने के मद्देनजर श्रीलंका की चिंता को और बढ़ा दिया है। श्रीलंका पर सबसे अधिक चीन का 5 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज है। चीन के अतिरिक्त जापान और भारत से भी श्रीलंका ने कर्ज लिया हुआ है। हालांकि श्रीलंका के लिए सबसे अधिक परेशानी का सबब चीन से मिला भारी-भरकम कर्ज है। कर्ज नहीं चुका पाने के एवज में श्रीलंका को अपना हंबनटोटा बंदरगाह चीन को 100 साल के पट्टे पर देना पड़ा था। इतना ही नहीं, हंबनटोटा पोर्ट के साथ ही 15000 एकड़ जमीन भी चीन ने हथिया ली। इसमें भी सबसे अहम बात यह है कि श्रीलंका ने चीन को जो जमीन सौंपी है, भारत से उसकी दूरी महज 100 मील है। विशेषज्ञ इसे भारत के लिए बहुत बड़ा खतरा करार देते हैं। (हिफी)
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