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लोगों से मिलता है

लोगों से मिलता है

जब तक सांस है 
टकराव मिलता रहेगा। 
जब तक रिश्ते है 
घाव मिलता रहेगा। 
पीठ पीछे जो बोलते है 
उन्हें पीछे रहने दो। 
रास्ता सही है तो 
गैरो से भी अपनापन मिलेगा।। 

किस्मत ने जैसा चाहा
वैसे ढल गये हम।
बहुत संभल के चले
फिर भी फिसल गये हम। 
किसी ने विश्वास तोड़ा 
तो किसी ने दिल। 
और लोगों को लगा
की बदल गये हम।। 

इंसानियत इंसान को 
इंसान बना देते है। 
लगन हर मुश्किल को
आसान बना देती है। 
लोग यूँ ही नहीं जाते
मंदिर मस्जिदो में पूजा करने। 
आस्था ही पत्थर को
भगवान बना देती है।। 

तेरी नजरे पड़ी 
तो कमल हो गये। 
तेरी बातें जो की 
तो गजल हो गये। 
मेरी हस्ती तो थी
एक टूटा सा मकान। 
तेरी कृपा जो हुई
तो महल हो गये।। 

गमो में हँसने वालो को
रुलाया नहीं जाता। 
लहरों में पानी को
हटाया नहीं जाता। 
होने वाले हो जाते है
खुद ही अपने। 
किसी को कहकर 
अपना बनाया नहीं जाता। 

जय जिनेंद्र 
संजय जैन "बीना" मुंबई
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