सूर्य नमस्कार पर विवाद क्यों?
(मनीषा स्वामी कपूर-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
इस साल हमारे देश की आजादी को 75 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। इस प्रकार 15 अगस्त 2022 को हम स्वतंत्रता की हीरक जयंती मनाएंगे। इसलिए यह सम्पूर्ण वर्ष उल्लास के साथ मनाने का निश्चय सरकार की तरफ से किया गया। उल्लास में देश के सभी नागरिक जब तक नहीं शामिल होंगे तब तक यह हीरक जयंती उत्सव अधूरा ही रहेगा। इसी उत्सव के एक क्रम में स्कूलों-कालेजों में पहली जनवरी से सात जनवरी तक सूर्य नमस्कार करने का कार्यक्रम बनाया गया। यह सूर्य नमस्कार एक तरह से 12 योगासनों का समुच्चय है और प्रातःकाल खाली पेट किया जाता है। सुबह की ताजी हवा में करने से इन योगासनों का शत-प्रतिशत लाभ मिलता है। योग से शरीर के अंग-प्रत्यंग स्वस्थ होते हैं और मानसिक विकारों से भी मुक्ति मिलती है। सूर्य की प्रातःकालीन धूप से शरीर को विटामिन डी मिलती है। सर्दियों में तो मध्याह्न की धूप भी अच्छी लगती है लेकिन गर्मियों में प्रातःकाल की धूप ही लाभदायक होगी। यही कारण है कि इन 12 योगासनों के समुच्चय को प्रातः करने का विधान बनाया गया और इसे सूर्य नमस्कार का नाम दिया गया है। अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों ने इसे मूर्ति पूजा से जोड़ दिया है। इस प्रकार का भ्रम उनके बीच फैलाया गया है जबकि योगासन से उनको भी विरोध नहीं है। उनकी नमाज भी एक तरह का योगासन ही है। बहरहाल, दुर्भाग्य से आजादी की हीरक जयंती का यह कार्यक्रम विवादों में घिर गया है, जिसे उचित नहीं कहा जा सकता। मुसलमानों के बीच फैली इस भ्रांति को दूर करना चाहिए।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सूर्य नमस्कार का विरोध किया है। एआईएमपीएलबी के मुताबिक, सरकार ने निर्देश जारी किया है कि आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर 1 से 7 जनवरी तक स्कूलों में सूर्य नमस्कार करवाया जाए। इस पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि सूर्य नमस्कार एक तरह से सूर्य की पूजा करना है और इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष, बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक देश है। इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर हमारा संविधान लिखा गया है। संविधान हमें इसकी अनुमति नहीं देता है कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में किसी धर्म विशेष की शिक्षाएं दी जाएं या किसी विशेष समूह की मान्यताओं के आधार पर समारोह आयोजित किए जाएं। मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि वर्तमान सरकार धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत से भटक रही है और देश के सभी वर्गों पर बहुसंख्यक सम्प्रदाय की सोच और परंपरा को थोपने की कोशिश कर रही है। जैसा कि साफ है कि भारत सरकार के अधीन सचिव शिक्षा मंत्रालय ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राज्यों में सूर्य नमस्कार की एक परियोजना चलाने का फैसला किया है, जिसमें 30 हजार स्कूलों को पहले चरण में शामिल किया जाएगा। 1 जनवरी से 7 जनवरी तक ये कार्यक्रम प्रस्तावित है। 26 जनवरी को सूर्य नमस्कार पर एक संगीत कार्यक्रम की भी योजना है। ये असंवैधानिक और देश-प्रेम का झूठा प्रचार है। उन्होंने यह भी कहा कि सूर्य नमस्कार सू्र्य की पूजा का एक रूप है। इस्लाम और देश के अन्य अल्पसंख्यक न तो सूर्य को देवता मानते हैं और न ही उसकी उपासना को सही मानते हैं इसलिए सरकार का ये फर्ज है कि वो ऐसे निर्देशों को वापस ले और देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का सम्मान करे। मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि अगर सरकार चाहे तो देश-प्रेम की भावना को उभारने के लिए राष्ट्रगान पढ़वाए। अगर सरकार देश से प्रेम का हक अदा करना चाहती है तो उसे चाहिए कि देश की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान दे। देश में बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई पर ध्यान दे। आपसी नफरत की बढ़ती भावना, सरकारी उद्यमों को लगातार बेचना और देश की सीमाओं की रक्षा करने में विफलता ये वास्तविक मुद्दे हैं। उन्होंने आगे कि मुस्लिम बच्चों के लिए सूर्य नमस्कार जैसे कार्यक्रमों में शामिल होने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं है और इससे बचना जरूरी है।
मौलाना खालिद सैफुल्लाह और उनकी जैसी सोच वालों को यह समझना होगा कि सूर्य ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है। इसी कारण प्राचीन ऋषि-मुनि सूर्य की पूजा-अर्चना करते थे। सूर्य नमस्कार का मतलब है सूर्य को नमन करना यानि सन सेल्यूटेशन । अगर आप योग की शुरुआत कर रही हैं तो इसके लिए सूर्य नमस्कार का अभ्यास सबसे बेहतर है। यह आपको एक साथ 12 योगासनों का फायदा देता है और इसीलिए इसे सर्वश्रेष्ठ योगासन भी कहा जाता है। योग एक्सरसाइज और फिजिकल मूवमेंट न केवल शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी हैं बल्कि दिमाग को फिट रखने के लिए भी अहम है। सूर्य नमस्कार के 12 चरण का हर रोज अभ्यास करने से दिमाग सक्रिय और एकाग्र बनता है। आमतौर पर इसका अभ्यास सुबह खाली पेट किया जाता है। सुबह के समय खुली जगह पर इसे करें, जहां आपको ताजा हवा मिले। सूर्य नमस्कार हमें वजन कम करने में मदद करता है। पाचन और भूख में सुधार करता है। शरीर को लचीला बनाता है। कब्ज की समस्या को ठीक करने में कारगर है। शारीरिक और मानसिक मजबूती बढ़ाता है। बॉडी पोस्चर को बेहतर करता है और बैलेंस बनाने में मदद करता है। मसल्स को टोन करता है और हड्डियों को मजबूत करता है। बाजू, कंधों, कमर, पैर, क्वैड्स, काफ्स और हिप्स की मांसपेशियों को टोन करता है। कहने का मतलब की सम्पूर्ण व्यायाम है।
सूर्य नमस्कार 12 योगासनों से मिलकर बना होता है। स्टेप-बाई-स्टेप इसे करना चाहिए। सर्वप्रथम प्रणामासन सूरज की तरफ चेहरा करके सीधे खड़े हों और दोनों को पैरों को मिलाएं, कमर सीधी रखें। अब हाथों को सीने के पास लाएं और दोनों हथेलियों को मिलाकर प्रणाम की अवस्था बनाएं। दूसरा है हस्तउत्तनासन- पहली अवस्था में ही खड़े होकर अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाकर सीधा रखें। अब हाथों को प्रणाम की अवस्था में ही पीछे की ओर ले जाएं और कमर को पीछे की तरफ झुकाएं। तीसरा पादहस्तासन- अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और आगे की ओर झुकते हुए हाथों से पैरों की उंगलियों को छुएं। इस समय आपका सिर घुटनों से मिला होना चाहिए। चैथा उपक्रम अश्व संचालनासन है- धीरे-धीरे सांस लें और सीधा पैर पीछे की ओर फैलाएं। सीधे पैर का घुटना जमीन से मिलना चाहिए। अब दूसरे पैर को घुटने से मोड़ें और हथेलियों को जमीन पर सीधा रखें। सिर को आसमान की ओर रखें। इसके बाद दंडासन है- अब सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों और पैरों को सीधी लाइन में रखें और पुश-अप की पोजीशन में आ जाएं। अगला चरण अष्टांग नमस्कार है। अब सांस लेते हुए अपनी हथेलियों, सीने, घुटनों और पैरों को जमीन से मिलाएं। इस अवस्था में रहें और सांस को रोकें। अधोमुख शवासन- इसे पर्वतासन भी कहा जाता है। इसके अभ्यास के लिए अपने पैरों को जमीन पर सीधा रखें और कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं। सांस छोड़ते हुए कंधों को सीधा रखें और सिर को अंदर की तरफ रखें।
भुजंगासन- अब हथेलियों को जमीन पर रखकर पेट को जमीन से मिलाते हुए सिर को पीछे आसमान की ओर जितना हो सके झुकाएं। अश्व संचालनासन धीरे-धीरे सांस लें और सीधा पैर पीछे की ओर फैलाएं। सीधे पैर का घुटना जमीन से मिलना चाहिए। अब दूसरे पैर को घुटने से मोड़े और हथेलियों को जमीन पर सीधा रखें। सिर को आसमान की ओर रखें।
इसके बाद पादहस्तासन- अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और आगे की ओर झुकते हुए हाथों से पैरों की उंगलियों को छुएं। इस समय आपका सिर घुटनों से मिला होना चाहिए। अगला चरण हस्तउत्तनासन- पहली अवस्था में ही खड़े होकर अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाकर सीधा रखें। अब हाथों को प्रणाम की अवस्था में ही पीछे की ओर ले जाएं और कमर को पीछे की तरफ झुकाएं। इस दौरान आप आधे चांद का आकार बनाएंगे। इस आसन को अर्धचंद्रासन भी कहा जाता है। इसके बाद प्रणामासन में सूरज की तरफ चेहरा करके सीधे खड़े हों और दोनों को पैरों को मिलाएं, कमर सीधी रखें। अब हाथों को सीने के पास लाएं और दोनों हथेलियों को मिलाकर प्रणाम की अवस्था बनाएं। इस प्रकार 12 व्यायाम एक साथ होते हैं। (हिफी)
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