पूर्वज-रिक्थ
पूर्वजों की गौरवगाथा को तू जानबूझ क्यों भुला रहे हो।
उनके पद-चिह्नों पर न चल, क्यों बुनियादें हिला रहे हो।।
समृद्धि और ख्याति का गौरवमय इतिहास रहा है।
आपद्धर्म, संघर्ष सामना करने का गुण खास रहा है।।
वे त्याग तपस्या परहित में जीवन का समय लगाते थे।
भूले, बिछड़े, पिछड़े को वे सत्पथ की राह दिखाते थे।।
साहसी, आत्मविश्वासी वे उत्तम विचार के पोषक थे।
थर-थर वे कांपा करते थे जो अभिमानी और शोषक थे।।
उस विराट, उस निर्विवाद शक्ति के पथ को तू अपनाओ।
स्वाभिमान के साथ "विवेक" तू संकल्पित लक्ष्य को पाओ।।
डॉक्टर विवेकानंद मिश्र डॉक्टर विवेकानंद पथ, गोल बगीचा गया बिहार
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