प्रियंका की प्रयोगवादी राजनीति
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने आधी आबादी अर्थात महिलाओं के राजनीति में प्रतिनिधित्व का सराहनीय प्रयास किया है। कुछ लोग इसे राजनीतिक दांव बता रहे हैं लेकिन मैं उनसे सहमत नहीं हूं। दर असल, कांग्रेस की तरफ से कोई अच्छी पहल भी की जाए तो कुछ लोग उसको भी उपहास की दृष्टि से देखते हैं। प्रियंका गांधी को पता है कि उत्तर प्रदेश में सत्ता प्राप्त करने की कांग्रेस के लिए कोई संभावना नहीं है। विधायकों की दृष्टि से भी कांग्रेस चैथे स्थान पर है तो महिलाओं को कांग्रेस से जोड़ने और एक अच्छी पहल करने का प्रयास क्यों न किया जाए।यह प्रयास कितना कारगर होगा, ये तो भविष्य ही बताएगा। पश्चिम बंगाल और ओडिशा में इसी प्रकार के प्रयास अच्छे साबित हुए थे। प्रियंका गांधी ने लडकी हूं, लड सकती हूं, का आकर्षक स्लोगन दिया है। चुनाव में उम्मीदवारों की घोषणा करते समय कांग्रेस ने अपने इस वादे को पूरा भी किया है। चुनावी समर के आगाज के साथ ही कांग्रेस ने आधी आबादी पर अपना मुख्य फोकस रखते हुए महिला घोषणा पत्र जारी किया, जिसमें महिलाओं के स्वाबलंबन, स्वाभिमान, शिक्षा, सम्मान, स्वास्थ्य और सेहत से जुड़े कई बड़े ऐलान किए गए। इसी के साथ ही कांग्रेस ने महिलाओं को यूपी विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी टिकट देने का वादा भी किया और प्रत्याशियों की जो पहली लिस्ट जारी हुई, उसमें 125 उम्मीदवारों में से 50 महिला प्रत्याशियों को टिकट भी दिया। इस प्रकार महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का मामला सैध्यांतिक है, वोट जुटाने के लिए नहीं है। इसीलिए प्रियंका गांधी की यह पहल मील का पत्थर बन सकती है। प्रियंका गांधी कहती हैं मेरी लड़ाई एक नए तरह की राजनीति के लिए है। अभी तो यह पहल अच्छी दिख रही है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां जोर शोर से तैयारियों में जुट गयी हैं। चुनाव के नजदीक आते ही किस प्रत्याशी पर दांव लगाया जाए और किसका टिकट काटा जाए, इस पर सभी पार्टियां अपनी रणनीति बनाने में लगी हुई हैं। इसी के चलते भगदड़ मच गयी और कुछ पार्टियों को टिकट काटने का आंकड़ा बदलना पड़ा । कुछ दलों के प्रत्याशी भी घोषित कर दिए गए हैं, तो वही कुछ पार्टियां चरणबद्ध तरीके से प्रत्याशियों के नाम पर मुहर लगा रही हैं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की कमान इस बार प्रियंका गांधी के हाथों में है। कांग्रेस पार्टी भले ही इस प्रतिस्पर्धा में प्रबल दावेदार न हो, पर जोर पूरा लगा रही है, और काफी हद तक सही दिशा में भी है, जिससे इस चुनाव में कुछ सीटें वो अपने नाम करने में कामयाब हो सकती है और विधानसभा में अकेले दम पर उसका प्रतिनिधित्व बढ सकता है। चुनावी समर के आगाज के साथ ही कांग्रेस ने आधी आबादी पर अपना मुख्य फोकस रखते हुए महिला घोषणा पत्र जारी किया, जिसमें महिलाओं के स्वाबलंबन, स्वाभिमान, शिक्षा, सम्मान, स्वास्थ्य और सेहत से जुड़े कई बड़े ऐलान किए गए। इसी के साथ ही कांग्रेस ने महिलाओं को यूपी विधानसभा चुनाव में 40 फीसदी टिकट देने का वादा भी किया और प्रत्याशियों की जो पहली लिस्ट जारी हुई, उसमें 125 उम्मीदवारों में से 50 महिला प्रत्याशियों को टिकट भी दिया। निरूसंदेह यह एक महत्वपूर्ण प्रयोग है और महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के किसी भी प्रयास की प्रशंसा की जानी चाहिए। इसके संभावित राजनैतिक प्रभाव बेहतर हो सकते हैं।
इस तरह के प्रयोग पहले भी हुए लेकिन वे राजनीतिक ज्यादा थे। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी की टीएमसी ने भी पश्चिम बंगाल में कुछ ऐसी ही घोषणा की थी कि वह 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देंगी और पार्टी ने पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 17 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा, जिनमें से 9 विजई हुई। यानी कि जीत का आंकड़ा 50 फीसदी से ज्यादा हुआ। वहीं, नवीन पटनायक की बीजेडी ने ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों में से 7 महिलाओं को टिकट दिया, जिनमें 5 महिला उम्मीदवारों ने जीत हासिल की और इन दोनों ही पार्टियों के प्रयोग काफी हद तक सफल दिखाई दिए।
यह सही है कि उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बंगाल में राजनीतिक और सांस्कृतिक तौर पर कई अंतर है पर उत्तर प्रदेश में भी आधी आबादी चुनावी नतीजों को बदलने का दम जरूर रखती हैं। कांग्रेस के परिपेक्ष्य में देखा जाए, तो प्रभाव बहुत ज्यादा तो नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उत्तर प्रदेश में चुनावी रण सीधे तौर पर समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच नजर आ रहा है लेकिन महिलाओं को 40 फीसद आरक्षण देने से कांग्रेस को मामूली बढ़त जरूर मिल सकती है और कहीं न कहीं पार्टी खुद इस बात से वाकिफ भी है। लखनऊ में अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रियंका गांधी ने भी खुद कहा था कि इस कदम से महिलाएं अपनी ताकत पहचानेंगी और भविष्य के चुनाव में एक मजबूत वोटिंग ब्लॉक के रूप में उभरेंगी। यानी कि पार्टी की तरफ से यह स्पष्ट संकेत दिया गया कि कांग्रेस के लिए महिलाओं का प्रतिनिधित्व सिद्धांतों का मामला है न कि वोट जुटाने का। अब यूपी विधानसभा चुनाव में यह प्रयोग किस हद तक राजनीतिक प्रभाव डालता है यह देखना दिलचस्प होगा।
कांग्रेस ने यूपी चुनाव से महीनों पहले अपना घोषणापत्र जारी कर दियाथा। एक दिन पहले ही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने का वादा किया। इसके बाद जारी घोषणापत्र में पार्टी ने वादों की झड़ी लगा दी। पार्टी ने कहा है कि वह सरकार में आई तो 20 लाख लोगों को सरकारी रोजगार मिलेगा। छात्राओं को स्मार्टफोन और स्कूटी दी जाएगी। किसानों का पूरा कर्जा माफ होगा और बिजली बिल आधा हो जाएगा। पार्टी मेनिफेस्टो में सात प्रतिज्ञा की गई है। इनमें किसानों को धान और गेहूं की खरीद कीमत 2500 रुपये करने की बात की गई है। कोरोना काल का बिजली बिल पूरी तरह माफ होगा और किसानों को एक क्विंटल गन्ने की कीमत 400 रुपये मिलेगी।महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी का यह फैसला आम महिलाओं की मदद करेगा।मेरी लड़ाई एक नए तरह की राजनीति के लिए है। पार्टी का यह फैसला उन लोगों के लिए जिनकी आवाज सुनी नहीं जाती। महिलाओं को टिकट देने से सेवा की राजनीति शुरू होगी। प्रियंका गांधी ने इसीलिए कहा है कि सरकार आने पर महिलाओं के लिए अलग घोषणापत्र जारी करेंगे। प्रियंका ने कहा कि किसान आज त्रस्त है। मोदी सरकार के मंत्री के बेटे ने किसानों को मार दिया। सरकार ने आज तक मंत्री को नहीं हटाया। हम प्रदेश की यात्रा के जरिए लोगों तक अपनी प्रतिज्ञा पहुंचाने का काम करेंगे। प्रियंका गांधी ने कहा कि हमने देश को पहली महिला प्रधानमंत्री दी। कांग्रेस ने ही यूपी की पहली महिला मुख्यमंत्री दी। हम यह कहना चाहते हैं हम महिलाओं को सचमुच सशक्त बनाना चाहते हैं। ऐसा माहौल देना चाहते हैं जहां महिलाओं को अपनी भागीदारी मिले, समाज में भागीदारी मिले, स्वतंत्रता मिले ताकि उनका शोषण बंद हो। महिलाएं सिर्फ औपचारिकता न रहेंश्स इसीलिए हमने अपने घोषणापत्र को छह हिस्सों में बांटा है। स्वाभिमान, स्वावलंबन, सुरक्षा, सेहत और शिक्षा। प्रियंका ने कहा कि इससे दूसरे राजनैतिक दलों पर भी दबाव बनेगा। दृढ़ निश्चय, करुणा दया, साहस ये महिलाओं के गुण होते हैं, हम चाहते हैं ये गुण राजनीति में भी हों। सिर्फ चुनाव के समय औपचारिकता न रहे। इससे पहले प्रियंका ने ट्वीट किया कि पिछले कई महीने में यूपी कांग्रेस ने प्रदेश भर की महिलाओं से सलाह-मशविरा किया और उनके लिए एक नई राह बनाने का खाका तैयार किया। शक्ति विधान गृहणियों, कॉलेज की लड़कियों, आशा व आंगनबाड़ी बहनों, स्वयं-सहायता समूह की बहनों, शिक्षिकाओं और प्रोफेशनल महिलाओं की आवाज का प्रतिबिम्ब है। (हिफी)
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