भारत का गणतंत्र
(समस्त देशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं)
आज रंग बिरंगे सुमन सजे हैं, स्वागत करने खड़े हुए ऋतुराज
फहराने गौरव ध्वज भारत के गणतंत्र का,उद्मत हैं राष्ट्र अधिराज
छब्बीस जनवरी एतिहासिक पावन,गणतंत्र दिवस हमारा है
आज संपूर्ण जगत में गूॅ॑ज रहा , गौरव गान हमारा है
यही यशगान कुछ श्वानों को ,पच नहीं रहा हमारा है
लोगों को भ्रमित कर भडकाना ही ,उनका बना सहारा है
भारत को गणतंत्र बनाने अगणित वीर शहीदों ने अपना रक्त बहाया है
महान् है गणतंत्र हमारा , रक्षा हित जिसका हमने विराट संविधान बनाया है
यश,कीर्ति,सुख,दुःख सौगातों की सौगातों को, अपने हृदय बसाया है
संविधान सहयोग से हम किसी को गणतंत्र का, सर्वोपरि शक्तिमान बना सकते हैं
उसी की अलौकिक जन शक्ति सृजनता से , शक्तिमान को शक्ति हीन कर सकते हैं
हम भारत माता के सपूत प्रतापी , गणतंत्र की रक्षा हित प्राण न्यौछावर कर सकते हैं
दुश्मन की दाल न गलने देंगे , आतंकी और आकाओं के पल एक में मनसूबे हर सकते हैं
माॅ॑ के चरणों की धूल लगा कर मस्तक पर,हम न जाने क्या क्या कर सकते हैं
गणतंत्र, प्रजातंत्र देश की रक्षा हित , कर काल को दान, काया अमर कर सकते हैं
आज नूतन नव शक्ति शौर्य पराक्रम लेकर, गणतंत्र दिवस फिर आया है
बसंती परिधान हमारी मातृभूमि को , प्रकृति सृष्टि ने पहनाया है
इंद्रधनुष दिख रहा गगन में , तिरंगा धरा पर लहर लहर मुस्काया है
सक्षम हाथों में सुरक्षित सौप देश को , जन जन हरषाया है
फिर भी कुछ नामुराद औलादों ने देश अस्थिर करने,बवंडर बड़ा मचाया है
पर देशभक्त विशाल जनसमूह ने , गणतंत्र की रक्षा का व्रत अपनाया है
देश की है आत्मा भारत का गणतंत्र,समता का संदेश है,है सबके कल्याण का मंत्र
लिंग जाति पंथ धर्म संप्रदाय का रखे न कोई भेद, सबका आदर स्वागत करता है गणतंत्र
सभी भेद मिटा कर सबल राष्ट्र बनायें, कोटि कोटि कंठों से मिल कर करें निनाद
आओ दुनियां को भारत की शक्ति दिखायें, अभीष्ट सृजन कर करें राष्ट्र जयनाद
बसुधैव कुटुंबकम मंत्र अपना कर,अजातशत्रु बन दुनियां को अपना मित्र बनालें
आत्म निर्भर वैभव शाली देश बना कर,अपने गौरवशाली गणतंत्र का गर्वित चित्र बना लें
अपनी संस्कृति संस्कार का गौरव गान करें,बाॅ॑टें अपने गणतंत्र का दिव्य प्रसाद यहां
हम सब मिलकर बाॅ॑टें हर्ष विषाद यहां,फिर सबका करेंगे आशुतोष शिव कल्याण यहां
छब्बीस जनवरी एतिहासिक पावन गणतंत्र दिवस हमारा है......
आज संपूर्ण जगत में गूॅ॑ज रहा , गौरव गान हमारा है .........
🇮🇳 जय हिंद वन्दे मातरम् 🇮🇳
चंद्रप्रकाश गुप्त "चंद्र"
(ओज कवि एवं राष्ट्रवादी चिंतक)
अहमदाबाद , गुजरात
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