Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

इस कुहासे से निकल थोड़ा चलें

इस कुहासे  से निकल थोड़ा  चलें

उमस है संदर्भ भी संगीन है
दूर का परिदृश्य भी रंगीन है
कामनाओं की पहाड़ी से उतर
बर्फ होती दृष्टि से  बाहर चलें!!

कल्पनाएँ ,जो अजन्मा गुम हूईं
सृष्टि के परिवेश  सम्मुख नम हुईं
शृंखलाओं मे बँधे उत्साह को
मुक्तिमंत्रित तीव्र स्वर देकर चलें!!

विकलता है लोचनी आशावरी
शून्यमें भी पूर्णता अविरल भरी
स्वस्थ मन की व्यग्रता में योग कर
स्पृहा भाषित वेदना खो कर चलें!!रामकृष्ण
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ