मणिपुर में जोखिम भरा चुनाव
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
पूर्वोत्तर भारत के संवेदनशील राज्य मणिपुर में भी पांच राज्यों के साथ विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। म्यांमार की सीमा पर स्थित इस राज्य की नगालैण्ड से भी अनबन चल रही है। अभी कुछ दिन पहले ही मणिपुर में सेना की टुकड़ी पर आतंकी हमला हुआ था और सात लोगों की मौत हो गयी। म्यांमार में भी आंगसांग सू ची की लोकतांत्रिक सरकार गिर जाने से मणिपुर के विधानसभा चुनाव में जोखिम बढ़ गया है। मणिपुर और नगालैण्ड में शांति वार्ता का मुद्दा भी चुनावों पर प्रभाव डाल सकता है। राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए इसी के चलते दो चरणों में मतदान होगा। चुनाव आयोग ने यहां स्टार प्रचारकों की संख्या कम कर दी है। मतदान का पहला चरण 27 फरवरी को 38 सीटों का और दूसरा चरण 3 मार्च को 32 सीटों के लिए सम्पन्न होगा। मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह को भी इस संदर्भ में सचेत रहना होगा।
चीन-म्यांमार सीमा पर भारत के खिलाफ साजिशें एक बार फिर तेज होने के संकेत मिल रहे हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्वोत्तर के उग्रवादी म्यांमार के साथ लगते चीन के सीमावर्ती इलाकों में फिर से संगठित होने पर काम कर रहे हैं। ये खबर ऐसे समय आई है जब मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं और मणिपुर और नगालैंड में शांति वार्ता का मुद्दा जोरों पर है। इस बीच भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवादी हमलों का खतरा बढ़ गया है। ऐसा माना जा रहा है कि नगालैंड में शांतिवार्ता रुकी हुई है। इस कारण कुछ नगा समूह धीरज खो रहे हैं और आगामी मणिपुर विधानसभा चुनावों को बाधित करने के इच्छुक विद्रोही मणिपुरी समूह चीन के यून्नान प्रांत और म्यांमार में सीमावर्ती इलाकों पर फिर से संगठित हो रहे हैं। साल 2020 में म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट का फायदा उठाते हुए म्यांमार-चीन सीमा पर पूर्वोत्तर के विद्रोही संगठनों का आवागमन बढ़ गया है। मणिपुर में दो चरणों में चुनाव होगा। चुनाव आयोग ने इस बार स्टार प्रचारकों की संख्या कम कर दी है। मणिपुर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी राजेश अग्रवाल ने कहा कि राज्य के विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 27 फरवरी को 38 सीटों पर जबकि 3 मार्च को दूसरे चरण में 22 सीटों पर मतदान होगा। उन्होंने हितधारकों से चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक आदर्श आचार संहिता का पालन करने का अनुरोध किया। असम राइफल्स के पूर्व महानिरीक्षक मेजर जनरल भबानी एस दास ने कहा, ‘‘उग्रवाद के फिर से सिर उठाने का चीनी पहलू है। कई उग्रवादी समूहों के चीन में लोग हैं। ऐसा माना जा रहा है कि यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (आई), ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफ मणिपुर और शांति वार्ता के विरोधी नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन)(के) के अलग हुए गुट सीमावर्ती इलाकों में फिर से संगठित हो रहे हैं।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सेवानिवृत्त अतिरिक्त महानिदेशक और पूर्वोत्तर उग्रवाद संबंधी मामलों के विशेषज्ञ संजीव कृष्ण सूद ने कहा, ‘‘पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों के पीछे मौजूद चीन के हाथ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन हमें इस तथ्य को भी देखना होगा कि कई नगा शांति वार्ता में अनसुलझे मामलों के कारण अधीर हो गए हैं और मणिपुरी उग्रवादी आगामी विधानसभा चुनाव में हस्तक्षेप करना चाहेंगे। मणिपुर में हाल में कुछ
उग्रवादी हमले हुए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ये हमले मणिपुर विधानसभा चुनाव के दौरान किए जाने वाले
विस्फोटों की साजिश का ट्रेलर हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अक्सर अलग-अलग लक्ष्य रखने वाले उग्रवादी समूहों ने बड़े हमले करने के लिए हाथ मिलाया है।
इन हमलों में पिछले साल 13 नवंबर को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में आईईडी विस्फोटकों और गोलियों से घात लगाकर किया गया वह हमला भी शामिल है, जिसमें असम राइफल्स के एक कमांडिंग अफसर, उनकी पत्नी, बेटे और असम राइफल्स के चार कर्मियों समेत कुल सात लोगों की मौत हो गई थी। दो प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफ मणिपुर (पीएलए) और मणिपुर नगा पीपुल्स फ्रंट (एमएनपीएफ) ने चुराचांदपुर जिले के सेहकन गांव में अर्द्धसैन्य बल पर हमले की जिम्मेदारी ली है। आईपीएस (सेवानिवृत्त) और मॉरीशस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे सुरक्षा विश्लेषक शांतनु मुखर्जी ने कहा, ‘‘आमतौर पर, मैतेई समूहों और नगा समूहों के अलग-अलग और कभी-कभी शत्रुतापूर्ण उद्देश्य होते हैं। वे एक साथ आसानी से नहीं आते। इनके बीच एक मात्र संबंध यह है कि इन्हें चीन के कुनमिंग में शरण मिलती है और वहीं ये हथियार खरीदते हैं। मणिपुर के पीएलए से 1980 के दशक में उत्तरी म्यांमार में एनएससीएन ने अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण भी लिया था।
बहरहाल मणिपुर में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। अग्रवाल ने कहा कि 60 सदस्यीय विधानसभा के लिये होने जा रहे चुनाव की मतगणना 10 मार्च को होगी और 12 मार्च से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि कोविड हालात के मद्देनजर मान्यता प्राप्त दलों के स्टार प्रचारकों की संख्या को 40 के बजाय 30 तक सीमित कर दिया गया है। जबकि गैर-मान्यता प्राप्त दलों के लिये इस संख्या को 20 से घटाकर 15 किया गया है। अग्रवाल ने कहा कि मतदाताओं को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए फेस मास्क और दस्ताने प्रदान किए जाएंगे और स्वच्छता व कतार प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए आशा कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों की सेवाएं ली जाएंगी। मतदान से एक दिन पहले मतदान केंद्रों को सैनेटाइज किया जाएगा। चुनाव पूर्व हिंसा को रोकने के लिए, कुल 25,299 लाइसेंसी हथियारों में से 11,767 को पुलिस थानों में जमा करा दिया गया है।
दोनों चरणों में चुनाव प्रचार मतदान शुरू होने के 48 घंटे के पहले के बजाय 72 घंटे पहले समाप्त कर दिया जाएगा। अंतिम फोटो मतदाता सूची के अनुसार राज्य में 9,85,119 पुरुष, 10,49,639 महिला मतदाता और 208 ट्रांसजेंडर मतदाता चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए पात्र हैं। दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 14,565 है, जिनके लिए निर्वाचन आयोग ने मतपत्रों का प्रावधान किया है, जबकि 80 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाताओं की संख्या 41,867 है। दो प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफ मणिपुर (पीएलए) और मणिपुर नगा पीपुल्स फ्रंट (एमएनपीएफ) ने चुराचांदपुर जिले के सेहकन गांव में अर्द्धसैन्य बल पर हमले की जिम्मेदारी ली है। मणिपुर के पीएलए से 1980 के दशक में उत्तरी म्यांमार में एनएससीएन ने अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण भी लिया था। इसलिए उनकी सक्रियता बढ़ी है। उधर 1950 के दशक में शुरू हुए नगा विद्रोह की आग को चीन ने हवा दी। चीन से नगा विद्रोहियों को प्रशिक्षण और हथियार मिलते थे। इसके अलावा कुछ विद्रोही समूह ईस्ट पाकिस्तान और बाद में बांग्लादेश गए, जहां पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से उन्हें समर्थन मिला। पूर्वोत्तर विद्रोही समूहों को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपनाने वाली शेख हसीना सरकार ने बांग्लादेशी मार्ग बंद कर दिया, ऐसे में इन समूहों के पास म्यांमार के जरिए चीन पहुंचना सबसे अच्छा विकल्प बचता है। पूर्वी कमान में आतंकवाद रोधी और खुफिया जानकारी के क्षेत्र में लंबा अनुभव रखने वाले सेवानिवृत्त मेजर जनरल बिस्वजीत चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘विद्रोही समूह कई वर्षों से कुनमिंग में ग्रे मार्केट (ऐसा बाजार जहां अनधिकृत माध्यम से सामान बेचा और खरीदा जाता है) से हथियार खरीदते हैं। (हिफी)
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