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समकालीन जवाबदेही पत्रिका के मगध विशेषांक का हुआ भव्य लोकार्पण

समकालीन जवाबदेही पत्रिका के मगध विशेषांक का हुआ भव्य लोकार्पण

स्थानीय आई एम ए हॉल में समकालीन जवाबदेही परिवार द्वारा प्रकाशित मगध विशेषांक पत्रिका का लोकार्पण किया गया। पत्रिका के इस अंक का लोकार्पण चपरा धाम के संस्थापक अशोक कुमार सिंह , डॉ सच्चिदानंद प्रेमी , वरीय साहित्यकार रामकृष्ण मिश्र , कवि एवं पूर्व रेलवे राजभाषा अधिकारी राजमणि मिश्र , डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह, डॉ कुमार वीरेंद्र, बार काउंसिल के अध्यक्ष रसिक बिहारी सिंह, प्रो चितरंजन कुमार,शम्भुनाथ पांडेय, डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने संयुक्त रुप से किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता चपरा धाम के संस्थापक अशोक कुमार सिंह और संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रेमेंद्र मिश्र ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ आगत अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। आगत अतिथियों को अंगवस्त्र एवं पुष्पमाला प्रदान कर अभिनंदन किया गया। शिवांगी और समीक्षा ने मधुर स्वर में स्वागत गान और 'चतुरंग' प्रस्तुत किया। प्रस्तुति में तबले पर संगत सुशील पांडेय ने किया।
आगत अतिथियों का स्वागत संबोधन कवि धनंजय जयपुरी ने किया।
पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ सुरेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि यह पत्रिका वर्ष 2016 से प्रकाशित की जा रही है। इस विशेषांक में मगध की विशिष्टताओं की झलक मिलती है। इसमें मगध के साहित्य, कला , परम्पराओं, लोक - संस्कृति , स्थापत्य कला के अनछुए पहलुओं को संकलित करने का प्रयास किया गया है।
डॉ चितरंजन कुमार ने कहा कि पत्रिका का यह मगध विशेषांक निकालना विशेष सराहनीय कार्य है। मगध ऐसा क्षेत्र है जहाँ के लोगों ने अपने साहस और पराक्रम से असम्भव को सम्भव बनाने का काम किया है। इसका अतीत गौरवशाली तो है ही इसका वर्तमान भी अनुकरणीय है। यह भूमि अन्याय के विरुद्ध तत्काल प्रतिरोध करने की क्षमताओं से भरा-पूरा है। पूरी दुनिया उगते सूरज को प्रणाम करती है परंतु मगध पहले डूबते सूर्य को प्रणाम करता है और बाद में उगते सूर्य को प्रणाम करता है।
चंद्रशेखर प्रसाद साहू ने कहा कि इस अंक में मगध की श्रमशीलता, रचनाशीलता , कला एवं स्थापत्य शैली की विशेषताओं की जानकारी मिलती है। इस अंक से नवीन पीढ़ी मगध के विरासत से सरोकार रखने के लिए प्रेरित होगी। इस अंक में मगध के बारे में जानकारी एक ही दस्तावेज में प्राप्त हो जाती है।
डॉ कुमार वीरेंद्र ने आधार व्यक्तव्य देते हुए कहा कि मगध सदैव ज्ञान की भूमि है जिसने ज्ञान पिपासुओं को अपनी ओर आकर्षित किया है। यहाँ के प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने के लिए प्रवेश परीक्षा द्वारपाल लेता था। इस अंक में मगध की राजनीति , शासन , परम्परा, व्रत , लोक-संस्कृति आदि के बारे में कई आलेख संकलित हैं। पत्रिका के इस अंक में मगध की बोली, खान-पान, रीति-रिवाज, व्यवसाय एवं लोक - परम्पराओं की जानकारी मिलती है। पत्रिका का यह अंक मगध की साहित्यिक प्रवृति को समृद्ध करता है।
डॉ सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने इस अंक के सुधी लेखकों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने मगध की एक-एक विशेषताओं का शोध कर जानकारी जुटाई और आलेख लिखा। प्राचीन ग्रन्थों में मगध के बारे ओछी टिप्पणी की है, जो मगध की समृद्ध विरासत को देखते हुए उचित प्रतीत नहीं होती है।
डॉ राम कृष्ण मिश्र ने कहा कि इस प्रकार की पत्रिकाओं का अपना साहित्यिक और सामाजिक महत्व है। यह अतीत और वर्तमान के बीच जानकारी एवं सामूहिक अनुभव के अंतरण का सेतु है। यह विरासत को बनाए रखने में बहुत ही उपयोगी है।
डॉ सच्चिदानंद प्रेमी ने कहा कि मगध की महिमागाथा अपरम्पार है और अतुलनीय है । इसकी महागाथा का गायन करने की जरूरत है।
अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए अशोक सिंह ने कहा कि पत्रिका का यह विशेषांक सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक प्रयासों का दस्तावेज है जिसमें मगध की यशोगाथा सहेजी गयी है। इसमें मगध की गौरवशाली परम्परा, जीवन मूल्यों के साथ ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं को सहेजा गया है। धन्यवाद ज्ञापन भारती भूषण ने किया।कार्यक्रम में डॉ चंद्रशेखर पांडेय, डॉ हनुमान राम, डॉ ऋत्विक सिंह , डॉ धनजंय कुमार, भैरवनाथ पाठक, डॉ शिवपूजन सिंह,अनुज बेचैन, कवि राकेश कुमार, शिवनारायण सिंह, पुरुषोत्तम पाठक, राम किशोर सिंह, प्रो संजीव रंजन,सिद्धेश्वर विद्यार्थी, इरफान अहमद, निर्भय कुमार मिश्र, ओमप्रकाश सिंह, श्रवण कुमार सिंह, हिमांशु चक्रपाणि, संजीव नारायण सिंह, देवेंद्र दत्त मिश्र, के डी पांडेय, चन्दन कुमार पाठक , शिवदेव पांडेय, जनार्दन जलज,अनिल कुमार सिंह, श्री राम रॉय, सुरेश विद्यार्थी, यज्ञ नारायण मिश्र, उज्ज्वल रंजन,अनुज पाठक, सुमन्त कुमार, श्रवण सिंह, कविता विद्यार्थी, ज्योत्स्ना मिश्रा , सुषमा सिंह, आशिका सिंह आदि सैकड़ों साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।
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