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उत्पल पर्रिकर की दलगत निष्ठा

उत्पल पर्रिकर की दलगत निष्ठा

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर बहुत लोकप्रिय नेता हुआ करते थे। भाजपा ने भी उनको पूरा महत्व दिया था। अब पांच राज्यों के साथ गोवा में भी जब विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं, तब पार्टी की चुनावी रणनीति के तहत स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर को टिकट नहीं दिया गया। पणजी सीट से लम्बे समय तक उनके पिता ने ही प्रतिनिधित्व किया। अबकी बार पार्टी ने मौजूदा विधायक अतानासियो माॅन्स रेट को पणजी सीट से उतारा है। इसी के चलते उत्पल पर्रिकर ने भाजपा छोड़ दी लेकिन इसे सबसे मुश्किल फैसला बताया वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगे लेकिन यह भी कहा कि भाजपा यदि किसी अच्छे प्रत्याशी को पणजी से चुनाव लड़ाती है तो वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। इससे इतना तो साबित होता है कि उत्पल पर्रिकर की दलगत निष्ठा है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को गोवा का यह विवाद वार्ता करके सुलझा लेना चाहिए।
गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़ना उनके लिए सबसे मुश्किल फैसला था और यदि भगवा दल पणजी से किसी अच्छे उम्मीदवार को खड़ा करता है, तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। उत्पल ने 21 जनवरी को भाजपा छोड़ दी थी और घोषणा की कि वह राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव पणजी से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ेंगे। भाजपा ने उत्पल को टिकट न देकर मौजूदा विधायक अतानासियो मॉन्सरेट को पणजी सीट से मैदान में उतारा है, जिसका प्रतिनिधित्व लंबे समय तक मनोहर पर्रिकर ने किया था। मनोहर पर्रिकर के बड़े बेटे उत्पल पर्रिकर ने कहा कि भाजपा हमेशा उनके दिल में है। उन्होंने कहा कि पार्टी छोड़ने का फैसला आसान नहीं था। उत्पल ने कहा, ‘यह सबसे मुश्किल फैसला था। इस दौरान मैं यही उम्मीद करता रहा कि मुझे यह फैसला नहीं करना पड़े। साथ ही उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात से नाखुश हूं कि मुझे यह फैसला (पार्टी छोड़ने और निर्दलीय चुनाव लड़ने का) करना पड़ा, लेकिन आपको कभी-कभी मुश्किल फैसले करने पड़ते हैं। यदि पार्टी पणजी से किसी अच्छे उम्मीदवार को खड़ा करती है तो मैं फैसला वापस लेने के लिए तैयार हूं।
उत्पल ने अधिक विस्तार से बात किए बिना दावा किया कि उन्हें टिकट नहीं दिया जाना 1994 की उस स्थिति के समान है, जब उनके पिता को पार्टी से बाहर निकालने की कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा, ‘उस समय मनोहर पर्रिकर को बाहर इसलिए निकाला नहीं जा सका था, क्योंकि उनके पास लोगों का समर्थन था। उन्होंने कहा वे (उनके पिता के विरोधी) लोग अब भी पार्टी में ‘ऊंचे पदों’ पर बैठे हैं, जबकि उनके जैसा व्यक्ति ‘लोगों के साथ है। उत्पल ने 2019 पणजी उपचुनाव का जिक्र किया, जो उनके पिता के निधन के बाद हुआ था। उन्होंने कहा कि उन्हें उस समय भी टिकट नहीं दिया गया था, जबकि उनके पास ‘समर्थ’ था। उत्पल ने कहा, ‘जब (भाजपा प्रमुख जे पी नड्डा) नड्डा जी गोवा आए थे, तो पांच दंपत्तियों ने (अगले महीने होने वाले चुनाव के लिए) पार्टी का टिकट मांगा था। यदि मनोहर पर्रिकर जीवित होते, तो एक भी पुरुष नेता अपनी पत्नी के लिए टिकट मांगने की हिम्मत नहीं कर पाता। भाजपा ने मॉन्सरेट की पत्नी जेनिफर, स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे और उनकी पत्नी दिव्या राणे को भी टिकट दिया है। उत्पल ने कहा कि उनके पिता राजनीति में परिवार राज के खिलाफ थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने मनोहर पर्रिकर के बेटे के रूप में टिकट नहीं मांगा था।
गोवा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर को टिकट देने से भाजपा के इनकार के बाद, राज्य के मंत्री विश्वजीत राणे ने कहा था कि सिर्फ इसलिए कि आप किसी के बेटे हैं पार्टी आपका समर्थन नहीं करेगी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राणे ने स्वीकार किया कि मनोहर पर्रिकर गोवा में सत्तारूढ़ भाजपा के सबसे बड़े नेता थे, लेकिन उन्होंने घोषित किया कि उनके बेटे उत्पल को भाजपा के साथ काम करना चाहिए, सीखना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। राणे ने कहा, सिर्फ इसलिए कि आप किसी के बेटे हैं इसका मतलब यह नहीं है कि आपको टिकट मिलेगा। विरासत को आगे बढ़ाने का मतलब यह नहीं है कि टिकट दिया जाएगा। राणे ने कहा कि पंजिम का टिकट मौजूदा विधायक अतानासियो बाबुश मोनसेरेट को दिया गया है, क्योंकि पूर्व कांग्रेस नेता ने पंजिम में अच्छा काम किया है। लोगों ने इसे देखा हैष्। मनोहर पर्रिकर के कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे बाबुश ने उपचुनाव में यह सीट जीती थी। राणे ने कहा, बाबुश को पंजिम का टिकट मिला है क्योंकि उन्होंने वहां अच्छा काम किया है। वहां के लोगों ने इसे देखा है और उन्हें वोट दिया है। मैं भी एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से हूं, लेकिन किसी ने मुझे थाली में परोस कर टिकट नहीं दिया था। मैंने भी यहां अपनी जगह बनाई है और टिकट पाने व अपनी विरासत बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है।
उत्पल पर्रिकर ने उस सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी जहां से उनके पिता ने 25 वर्षों तक प्रतिनिधित्व किया था। भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा, मैं जल्द ही अपना रुख स्पष्ट करूंगा। गौरतलब है कि शिवसेना ने समर्थन व्यक्त किया है और आप ने उन्हें टिकट की पेशकश की है।
गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर ने बागी तेवर अपना लिये हैं। उन्होंने बीजेपी से टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी पर सवाल उठाए हैं। उत्पल पर्रिकर ने कहा, अब समय आ गया है कि मैं अपने पिताजी के मूल्यों के साथ खड़ा रहा हूं। मैंने बीजेपी को यह समझाने का भरपूर प्रयास किया कि मुझे कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त है, लेकिन यहां टिकट एक अवसरवादी उम्मीदवार को दे दिया गया है। मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा। मनोहर पर्रिकर के बेटे ने इसी के साथ बीजेपी छोड़ने का ऐलान भी कर दिया है। उत्पल पर्रिकर ने पणजी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने का फैसला किया है। बीजेपी ने गोवा की अपनी लिस्ट में उत्पल को उम्मीदवार नहीं बनाया था। आम आदमी पार्टी ने उत्पल को अपनी पार्टी से टिकट देने और मौजूदा प्रत्याशी को वापस लेने की पेशकश भी की थी, हालांकि उत्पल ने बिना किसी पार्टी के समर्थन के ही मैदान में उतरकर अपनी ताकत दिखाने का फैसला किया है। उत्पल पर्रिकर ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़ना उनके लिए ‘‘सबसे मुश्किल’’ फैसला था और यदि भगवा दल पणजी से किसी ‘‘अच्छे उम्मीदवार’’ को खड़ा करता है, तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। इससे इतना तो पता चलता ही है कि मनोहर पर्रिकर के बेटे में भाजपा के प्रति निष्ठा भी है। (हिफी)
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