सूर्य नमस्कार के प्रति दुनिया का रुझान
(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
भारतीय चिंतन में मानव कल्याण की कामना की गई। इसमें प्रकृति के संरक्षण संवर्धन व उसके अनुरूप जीवन शैली को महत्व दिया गया। योग से लेकर हमारे पर्व उत्सव सभी का यह सन्देश रहता है। यहां सभी पर्व उत्सव किसी न किसी रूप में प्रकृति से जुड़े है। वर्तमान सरकार ने इन पर्वों एवं त्योहारों को विशिष्ट तौर से आयोजित कर दुनिया के समक्ष यूनीक इवेण्ट के रूप में प्रस्तुत किया है। यह व्यापक श्रृंखला के हिस्से हैं। प्रकृति के साथ अपना समन्वय स्थापित करने के साथ ही अपनी परम्परा और आध्यात्मिक विरासत को भी अक्षुण्ण बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। योग आयुष व उत्सव दुनिया के भारत की सौगात है। प्राचीन भारत के ऋषियों आचार्यों ने गहन व विलक्षण शोध के बाद इसका सृजन किया था। इसी के साथ उन्होंने सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना की थी। यह उदार चिंतन था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को मान्यता मिली। इसी के साथ नरेंद्र मोदी ने आयुष मिशन को एक अभियान का रूप दिया। उन्होंने आयुष मंत्रालय का गठन किया। उनकी प्रेरणा से आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी। योग पद्धति को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलायी है। उनके प्रयासों से प्रत्येक वर्ष इक्कीस जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस क्रम में मकर संक्रांति पर सूर्य नमस्कार का विश्व स्तर पर आयोजन किया गया। मकर संक्रांति पर पहला वैश्विक सूर्य नमस्कार कार्यक्रम देश विदेश में उत्साह के साथ मनाया गया। कोरोना प्रोटोकॉल पर अमल करते हुए एक करोड़ से लोगों ने सूर्य नमस्कार किया। भारत में इस कार्यक्रम की शुरूआत केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोणोवाल और केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री डॉ.मुंजपरा महेंद्रभाई ने वर्चुअल माध्यम से की। इस अवसर पर बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण, श्री श्री रविशंकर, सद्गुरु जग्गी वासुदेव और देश विदेश से कई बड़ी हस्तियां जुड़ीं। भारत, इटली, अमेरिका, सिंगापुर, श्रीलंका और जापान जैसे अनेकों देशों में सूर्य नमस्कार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मकर संक्रांति के पर्व पर सूर्य अपना पथ बदलकर उत्तरायण में प्रवेश करते हैं। जिसे भारतीय परंपरा में शुभ माना जाता है। इसलिए सूर्य की उपासना भारत में भक्ति भावना से की जाती है। योग परंपरा में सूर्य अराधना को सूर्य नमस्कार के माध्यम से लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए किया जाता है। बड़ी संख्या में सराकारी और गैर सरकारी संस्थाओं, विभिन्न मंत्रालयों विभागों से जुड़े लाखों लोगों ने सूर्य नमस्कार के आयोजन किए। आयुष मंत्रालय के साथ केन्द्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय समेत,गृह,रक्षा और शिक्षा मंत्रालय ने और उनके अधीन आने वाली इकाइयों की भागीदारी रही।
आयुष मंत्रालय और मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के सहयोग से इसका आयोजन किया गया। इसका आयोजन आजादी के अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों की श्रृखंला के एक भाग के रूप में किया गया। सूर्य नमस्कार पर हुए अध्ययन बताते हैं कि ययह हमारी इम्यूनिटी को सुदृढ़ करता है। शरीर को स्वस्थ रखने में सहायता करता है। आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि सूर्य नमस्कार जीवनी शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। सूर्य नमस्कार की बढ़ मुद्राओं को तेरह बार प्रदर्शित किया गया। मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के प्रशिक्षित विद्यार्थियों ने दूरदर्शन स्टूडियो और अपने संस्थान के प्रांगण एक साथ तेरह चक्रों का प्रदर्शन किया। देश विदेश के अलग।अलग स्थानों पर भी इसी तरह से हो रहे सूर्यनमस्कार प्रदर्शन को सीधे प्रसारण में दिखाया गया।
इसी सीधे प्रसारण के दौरान योग गुरू बाबा रामदेव ने कहा कि सूर्य नमस्कार जीवनी शक्ति का आधार थीम पर सूर्य नमस्कार के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए एक बहुत बड़ा आंदोलन है। योग का अर्थ लोगों को जोड़ना होता है और यह अभियान वही कर वही कर रहा है। सूर्य नमस्कार के माध्यम से पचहत्तर लाख से अधिक लोग एक साथ सूर्य नमस्कार कर विश्व को एकता के सूत्र में पिरोने का मंत्र दिया है।
सनातनी परंपरा में कोरोना का ही नहीं बल्कि अनेकों शारीरिक मानसिक समस्याओं का समाधान है। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने कहा कि इस दिन सूर्य नमस्कार करने से हम सूर्य की ऊर्जा से एक नया इतिहास रच सकते हैं। विश्व को सूर्य की ऊर्जा के उपयोग का मंत्र भी भारत ने ही दिया है। सूर्य की ऊर्जा से हमारे भीतर रोग निरोधक शक्ति जागती है। ईशा फाउंडेशन के संस्थापक जग्गी वासुदेव सद्गुरू ने कहा कि संसार में सब कुछ सूर्य की ऊर्जा से ही संचालित होता है। रोजाना सूर्य नमस्कार करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। मिस वर्ल्ड जापान तमाकी होशी भी वर्चुअली जुड़ीं। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा की गई ये पहल महामारी के इस दौर में हर इंसान के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध हो रही है। जापान में भी बड़ी संख्या में लोग सूर्य नमस्कार कर रहे हैं। अनेकों लोग योग को प्रतिदिन अपनी दिनचर्या में शामिल कर चुके हैं। इटली योग संस्थान की अध्यक्ष डॉ. एंटोनिटा रोजी ने भी सूर्य नमस्कार कर लोगों से स्वस्थ रहने की अपील की। अमेरिकन योग अकादमी के अध्यक्ष डॉ. इंद्रनील बसु रॉय, सिंगापुर योग संस्थान के सदस्य भी इस कार्यक्रम में वर्चुअली जुड़े और कोविड नियमों का पालन करते हुए सूर्य नमस्कार किया। एमडीएनआईवाई के निदेशक ईश्वर बसवारेड्डी ने कहा कि सूर्य नमस्कार हमारे श्वसन तंत्र को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है, इस यौगिक प्रक्रिया से करने से हम अनेकों बीमारियों से मुक्त रह सकते हैं। भारत के पर्व आस्था मात्र नहीं है। इसमें प्रकृति,स्वास्थ्य और सामाजिक बोध के जुड़े हुए है। इनमें समरसता व उत्साह का सन्देश समाहित होता है। इनके विविध रूप भी अद्भुत होते है। एक ही भावभूमि पर होने के बाद भी इनके रंग रूप स्वरूप भिन्न हो सकते है। इस प्रकार अनेकता में एकता का उद्घोष भी साथ साथ चलता है। वर्तमान सरकार ने इन पर्वों एवं त्योहारों को विशिष्ट तौर से आयोजित कर दुनिया के समक्ष यूनीक इवेण्ट के रूप में प्रस्तुत किया है। यह व्यापक श्रृंखला के हिस्से हैं। प्रकृति के साथ अपना समन्वय स्थापित करने के साथ ही अपनी परम्परा और आध्यात्मिक विरासत को भी अक्षुण्ण बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। मकर संक्रांति भी ऐसा ही पर्व है। भारतीय चिंतन में स्नान पर्व समरसता, पर्यावरण और वैचारिक चेतना का बोध कराते थे। मकर संक्रांति व कुम्भ आदि की परंपरा इसी विचार को आगे बढ़ाती है। भारतीय जीवन शैली में पर्यावरण चेतना सहज स्वभाविक रूप में प्रवाहित होती है। यह धार्मिक स्नान मात्र नहीं होता। यह नदियों के प्रति सम्मान भाव को जाग्रत करता है। नदियां अविरल निर्मल होंगी तभी मानवजीवन का कल्याण होगा,उसका भविष्य सुनिश्चित रहेगा। इसी तरह वन,वृक्ष,पर्वत सभी को सम्मान दिया गया। सभी के संरक्षण संवर्धन को धर्म से जोड़ा गया। हमारे ऋषि त्रिकाल दर्शी थे। वह जानते थे कि एक सीमा से अधिक प्रकृति का दोहन मानव के लिए घातक होगा। इसलिए उन्होंने न्यूनतम उपभोग का सिद्धांत दिया। लेकिन पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव प्रकृति का बेहिसाब दोहन किया। प्रकृति कुपित हो रही है। मानवता के सामने संकट है। इससे बाहर निकलने का उनके पास कोई सिद्धांत विचार नहीं है। इनकी नजर भारत की ओर लगी है। इस भूमिका के लिए पहले भारत को तैयार होना पड़ेगा। पहले उसे अपनी विरासत को पहचानना होगा। (हिफी)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com