आप सभी को मकर सक्रांति की ढेरों शुभकामनाएं
"मकर संक्रांति स्पेशियल" :
देखो आया मकर सक्रांति का त्यौहार,
संग में लेकर खुशहाली अपार ।
सभी उड़ा रहे थे छत पर पतंग,
चारों ओर छाई थी खुशी और उमंग।
काई पो और लपेट से आसमान था गूंज रहा,
हर कोई था मस्ती में झूम रहा।
हमने भी सोचा था मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाएंगे,
पड़ोसन के साथ नजरों के पेच लड़ाएंगे।
इसी नेक इरादे से हम आ गए
छत पर,
एक हाथ में चरखी और दूसरे में पतंग लेकर।
बड़ी ही सुहानी हवा चल रही थी,
लेकिन हमारी नजरें तो पड़ोसन के दरवाजे पर टिकी थी।
तभी हमारी श्रीमती जी छत पर आई,
तिल गुड़ के लड्डू और गजक साथ में लाई।
लड्डू की खुशबू मन लुभा रही थी,
अपनी ओर हमें बुला रही थी।
ज्यों ही लड्डू को मुंह में ले कर के हमने चबाया,
लड्डू तो टूटा नहीं मेरा दांत ही टूट गया, भाया।
दर्द के मारे मैं कराह रहा था, गुस्से से बीवी को घूर रहा था।
पर हाय रे मेरी फूटी किस्मत
उसी वक़्त पड़ोसन छत पर आई,
प्यारी सी स्माइल से वो मुझे देख रही थी भाई।
मैं चाह कर भी उनको स्माइल नहीं दे सकता था,
आखिर टूटे हुए दांत से कैसे मुस्कुरा सकता था?
हमारे तो अरमानों पर पानी फिर गया,
मकर सक्रांति की मस्ती में
खलल पड़ गया ।
इस तरह हमारी मकर सक्रांति तो फिकी ही रह गई,
हमारी पड़ोसन हमसे पटते पटते रह गई ।
✍सुमित मानधना 'गौरव' ,
सूरत, गुजरात। हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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