स्त्रियों को दंडवत प्रणाम क्यों नहीं करना चाहिए?
आज कल मन्दिरों में और पूजा स्थल पर लोग बगैर जानकारी के ऐसी गलती करतें है जो उन्हें पाप का भागीदार बनाता है |
शास्त्र के अनुसार स्त्रियों को दंडवत प्रणाम नहीं करना चाहिए परन्तु कई जगह हमने देखा है स्त्रियाँ भी दंडवत प्रणाम करती हुई मिल जाती है जो सर्वथा अनुचित है | वैसे दंडवत प्रणाम को सभी प्रकार के प्रणामों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है लेकिन हमारे शास्त्रों में स्त्रियों को दंडवत प्रणाम करने का सर्वथा निषेध है। शास्त्रानुसार स्त्रियों को कभी भी किसी के भी सम्मुख दंडवत प्रणाम नहीं करना चाहिए।
आजकल अनेक स्थानों पर देखने में आता है कि स्त्रियां भी मंदिरों, पूजा स्थलों व परिक्रमा आदि में षाष्टांग दंडवत प्रणाम करती हैं, जो शास्त्रानुसार अनुचित है।
ऐसा क्यों है इसका समाधान हमें 'धर्मसिन्धु' नामक ग्रंथ में मिलता है, जिसमें स्पष्ट निर्देश है-
'ब्राह्मणस्य गुदं शंखं शालिग्रामं च पुस्तकम्।
वसुन्धरा न सहते कामिनी कुच मर्दनं।।'
- अर्थात् ब्राह्मणों का पृष्ठभाग, शंख, शालिग्राम, धर्मग्रंथ (पुस्तक) एवं स्त्रियों का वक्षस्थल (स्तन) यदि सीधे भूमि (बिना आसन) का स्पर्श करते हैं तो पृथ्वी इस भार को सहन नहीं कर सकती है। इस असहनीय भार को सहने के कारण वह इस भार को डालने वाले से उसकी श्री (अष्ट-लक्ष्मियों) का हरण कर लेती है।
ब्राह्मणों का पृष्ठभाग, शंख, शालिग्राम, धर्मग्रंथ (पुस्तक) एवं स्त्रियों के वक्षस्थल को पृथ्वी पर सीधे स्पर्श कराने वाले की अष्ट-लक्ष्मियों क्षय होने लगता है। अत: शास्त्र के इस निर्देशानुसार स्त्रियों को दंडवत प्रणाम कभी नहीं करना चाहिए।स्त्रियों को दंडवत प्रणाम के स्थान पर घुटनों के बल बैठकर अपना मस्तक भूमि से लगाकर ही प्रणाम करना चाहिए एवं ब्राह्मणों, शंख, शालिग्राम भगवान को, धर्मग्रंथ (पुस्तक) को सदैव उनके यथोचित आसन पर ही विराजमान कराना चाहिए
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com