हरक की जगह अनुकृति
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
उत्तराखण्ड में भाजपा को छोड़कर घर वापसी करने वाले हरक सिंह रावत त्रिशंकु की स्थिति में आ गये थे। भाजपा में वापस जा नहीं सकते थे और कांग्रेस में हरीश रावत उनका जबर्दस्त विरोध कर रहे थे। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह समेत कुछ नेता हरक सिंह रावत की घर वापसी का समर्थन भी कर रहे थे। इसी के चलते हरीश रावत ने भी बीच का रास्ता निकाला। हरक सिंह रावत को चुनाव लड़ाने की जगह उनकी बहू अनुकृति को टिकट दिया गया है। कांग्रेस ने उम्मीदवारों की सूची जारी की है जिसमें हरक सिंह रावत का नाम शामिल नहीं है जब हरीश रावत का नाम उसमें शामिल है।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी की, जिसमें 11 प्रत्याशियों में तीन महिला नेताओं के नाम शामिल दिखे। इससे पहले कांग्रेस ने 53 प्रत्याशियों के साथ पहली लिस्ट जारी की थी, अब जारी 11 नामों की लिस्ट में पूर्व सीएम हरीश रावत को छोड़कर चार अन्य चेहरे चर्चा में हैं। इन चेहरों में शामिल हैं तीन महिला प्रत्याशियों के चेहरे और एक पूर्व सांसद का नाम, जिन्हें कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है। इनमें से एक नाम दलबदल के लिए चर्चा में रहने वाले हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं का है। बताया जाता है कि कोटद्वार सीट से विधायक रहे हरक सिंह इस बार अपनी सीट बदलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं, जिस पर आखिरी अपडेट के मुताबिक सहमति नहीं बन सकी थी। इधर, भाजपा से निष्कासित किए जाने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए हरक सिंह की बहू अनुकृति पर कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है क्योंकि लैंसडौन के कांग्रेसियों ने पहले ही इसे लेकर बड़ी चेतावनी दी थी। पिछले हफ्ते ही कांग्रेस से जुड़ी अनुकृति लंबे समय से अपने महिला उत्थान एवं बाल कल्याण नाम के एनजीओ के जरिये सामाजिक काम करती हैं। वह पहले एक मॉडल रही हैं। साल 2013 में अनुकृति मिस इंडिया दिल्ली रहीं तो 2014 में मिस इंडिया पैसेफिक वर्ल्ड और 2017 में मिस इंडिया ग्रैंड इंटरनेशनल में भारत को रिप्रजेंट कर चुकी हैं। अनुकृति को कांग्रेस ने लैंसडौन सीट से प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी ने इस सीट से दिलीप सिंह रावत को प्रत्याशी बनाया है।
हरिद्वार जिला पंचायत की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं बरखा रानी को कांग्रेस ने हरिद्वार की ज्वालापुर सीट से अपना उम्मीदवार बनाया। ये सीट अनुसूचित जाति के प्रत्याशी के लिए रिजर्व है। बीजेपी ने यहां से अपने पुराने विधायक सुरेश राठौर को चुनाव मैदान में उतारा है। हल्द्वानी की पूर्व ब्लॉक प्रमुख कांग्रेस की तीसरी लिस्ट में सरप्राइजिंग नाम है। संध्या को पार्टी ने नैनीताल जिले की लालकुआं सीट से प्रत्याशी बनाया है। संध्या को पार्टी ने यहां पूर्व मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल और 2012 में पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हरेंद्र बोरा को दरकिनार करते हुए टिकट दिया है। हालांकि बीजेपी ने यहां से अभी अपने प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है। कांग्रेस ने जो अपनी 53 नामों की पहली लिस्ट जारी की थी, उसमें तीन महिला नाम शामिल थे। इनमें से एक नाम गोदावरी थापली का है। कांग्रेस ने महिला नेता गोदावरी थापली को देहरादून की मसूरी सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। यहां गोदावरी थापली का मुकाबला राज्य की पुष्कर धामी सरकार में मंत्री गणेश जोशी से होगा। पूर्व मंत्री सुरेंद्र राकेश की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ममता राकेश ने उनकी राजनीतिक विरासत को संभाला। ममता राकेश 2017 में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद अपनी सीट हरिद्वार जिले की भगवानपुर से जीतने में सफल हुई थीं। ममता राकेश को कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। ममता का मुकाबला बीजेपी के मास्टर सत्यपाल से होगा। रुद्रपुर नगर पालिका की पूर्व अध्यक्ष मीना शर्मा को कांग्रेस ने रुद्रपुर से चुनावी मैदान में उतारा है। मीना शर्मा राजनीतिक और सामाजिक रूप से रुद्रपुर में खासी सक्रिय हैं। उन्हें तिलकराज बेहड़ का करीबी माना जाता है।
कांग्रेस ने हरीश रावत के रामनगर सीट से लड़ने का ऐलान किया तो एक सस्पेंस खत्म हुआ, लेकिन दूसरा पैदा हो गया। कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत का दावा है कि इस सीट से टिकट के लिए पार्टी ने उन्हें आश्वस्त किया था, लेकिन ऐन समय पर फैसला बदल गया। अब वह एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी में दिख रहे हैं।
रणजीत रावत, जिन्हें कांग्रेस पार्टी ने टिकट जारी करते समय रूठों को मनाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। अब उनका कहना है, ‘मुझे ही पार्टी ने रूठों की श्रेणी में रख दिया है।’ हरदा को रामनगर से टिकट दिए जाने पर वह बोले, ‘कांग्रेस ने मुझे आश्वासन दिया था और मैं पिछले पांच सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहा था। अब मैं अपने साथियों के साथ विचार विमर्श कर रहा हूं और जल्द ही अपने अगले कदम के बारे में खुलासा करूंगा।’ इस बयान के संदर्भ में चर्चा यह चल रही है कि रणजीत रावत निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि कांग्रेस उन्हें सल्ट से टिकट देकर मना सकती है।
अब मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता’, पहले यह बयान दे चुके हरक सिंह रावत पिछले हफ्ते कांग्रेस में शामिल हुए। अब उनका कहना है कि पार्टी उन्हें जिस सीट से चुनाव लड़वाएगी, वह तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘चैबट्टाखाल से लड़ना हो या त्रिवेंद्र सिंह रावत की सीट से, मैं पार्टी का आदेश मानूंगा। पार्टी चुनाव नहीं भी लड़ाएगी तो मैं पूरे प्रदेश में पार्टी के लिए काम करूंगा।’ लेकिन, इसी बीच हरक सिंह ने एक बात और कही, ‘मैं बड़ी बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन ईश्वर की मुझ पर कृपा है कि मेरे एक अनुरोध पर प्रदेश की कई सीटों पर 1000 से 25,000 वोट तक इधर उधर हो सकते हैं।’ हरक सिंह रावत के इस बयान को क्या कांग्रेस किसी धमकी के तौर पर समझेगी? या उनकी मनचाही सीट से चुनाव का टिकट दिए जाने के दबाव के तौर पर? इस तरह की चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर के चलते हरीश रावत इस सीट से चुनाव मामूली अंतर से हार गए थे। इस बार वह रामनगर सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं, तो सवाल खड़ा हो गया है कि अब इस सीट से पार्टी किसे उम्मीदवार बनाएगी। कयास यह है कि यहां से रावत की बेटी अनुपमा रावत को कांग्रेस टिकट दे सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह दिलचस्प होगा कि हारी हुई सीट से कोई दिग्गज नेता अपनी अगली पीढ़ी को लॉंच करे। उम्मीदवारों की घोषणा में कांग्रेस से बाजी मारते हुए बीजेपी ने पहले टिहरी जिले की 6 विधानसभा सीटों में से 5 पर अपने टिकटों की घोषणा की थी। इन पांच सीटों पर पार्टी ने जीते हुए चेहरों पर ही दांव लगाने की रणनीति अपनाई। इधर, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के चलते कुछ समीकरण उलझे हुए हैं तो टिहरी सीट पर सस्पेंस बना हुआ है और बीजेपी ही नहीं, कांग्रेस भी दो सीटों के लिए प्रत्याशियों के बारे में मंथन करने पर मजबूर है। (हिफी)
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