हिंदी समन्वय की भाषा

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जहानाबाद । सच्चिदानद शिक्षा एवं समाज कल्याण संस्थान की ओर से विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी संगोष्टी में जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के उपाध्यक्ष साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि विश्व हिन्दी दिवस प्रति वर्ष 10 जनवरी को विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अन्तरराष्ट्रीय भाषा प्रथापित करना है। विदेशों में भारत के दूतावास तथा सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते रहे हैं। विश्व में हिन्दी का विकास और प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों का प्रारंभ प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था । भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाये जाने की घोषणा की थी । भारतीय विदेश मंत्रालय ने विदेश में 10 जनवरी 2006 को पहली बार विश्व हिन्दी दिवस मनाया था।हिन्दी के प्रचार-प्रसार में विश्व में 147 संस्थाएँ कार्य कर रही है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व पटल पर हिंदी भाषा में भाषण देते हैं। इससे पहले दिवगंत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण दिया था। विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है। हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। हिंदी के महान साहित्यकार व्यौहार राजेन्द्र सिंह ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। उनके संघर्ष और मेहनत की वजह से हिंदी राष्ट्रभाषा बन सकी। व्यौहार राजेन्द्र सिंह का जन्म 14 सितंबर, 1900 को मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुआ था । सविंधान सभा ने उनके अथक प्रयास पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए 14 सितंबर, 1949 को सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि हिंदी ही देश की राष्ट्रभाषा होगी। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्ददास की अहम भूमिका रही है।विश्व हिंदी दिवस संगोष्टी में जिला भाजपा बुद्धिजीवी प्रोकोष्ट जहानाबाद के संयोजक डॉ राधेश्याम शर्मा , संस्थान के कार्यक्रम पदाधिकारी पप्पू कुमार , जिला कृषक संगठन जहानाबाद के अध्यक्ष कामेश्वर सिंह आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त किए ।
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