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बौद्ध भिक्षु हान का निधन

बौद्ध भिक्षु हान का निधन

हनोई। पश्चिम में माइंडफुलनेस का विस्तार करने वाले बौद्ध भिक्षु थिच न्हात हान का 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। खबर है कि शनिवार की मध्यरात्रि में उन्होंने वियतनाम के ह्यू में अंतिम सांस ली। हान ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा दक्षिण फ्रांस स्थित प्लम गांव में निर्वासन में गुजारा। यहां उन्होंने एक रिट्रीट सेंटर की स्थापना की थी। अपने अनुयायियों के बीच वे थाय के रूप में जाने जाते थे। एपी के अनुसार, हान के निधन की पुष्टि ह्यू स्थित टू हियु पगोडा के एक अन्य भिक्षु ने की। उन्होंने बताया कि शनिवार की मध्यरात्रि को उनका निधन हो गया। यह दुखद जानकारी देने वाले भिक्षु ने अपना नाम जाहिर करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उन्हें मीडिया से बात करने का अधिकार प्राप्त नहीं था। थिच न्हात हान के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए पोस्ट में भी इस खबर की पुष्टि की गई है। 1926 में गुयेन जुआन बाओ के रूप में जन्म लेने वाले हान 16 साल की उम्र में ही भिक्षु बन गए थे। उन्होंने जीवन भर शांति के लिए काम किया। साल 1961 में उन्होंने शिक्षा के लिए अमेरिका का रुख किया है। साथ ही उन्होंने कुछ समय के लिए प्रिंसटन और कोलंबिया विश्वविद्यालयों में भी तुलनात्मक धर्म के बारे में पढ़ाया है। सात भाषाएं बोलने वाले हान साल 1963 में अमेरिका-वियतनाम युद्ध के बढ़ते विरोध में शामिल होने के लिए वियतनाम लौट आए थे। 1964 में हान युद्ध विरोधी कामों में जुट गए और उन्होंने ऑर्डर ऑफ इंटर-बींग की स्थापना की, जो अहिंसा, माइंडफुलनेस और सामाजिक कार्य को समर्पित बौद्ध का समर्थन करता है।
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