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गौ आधारित खेती का कमाल

गौ आधारित खेती का कमाल

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

देसी गाय का ताजा गोबर खेती के लिए बहुत उपयोगी होता है। वहीं, गोमूत्र जितना पुराना होगा, उतना ही असरदार होगा। गाय के गोबर में समाहित सुगंध एवं पोषण से केंचुए आकर्षित होते हैं, जो भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए निरंतर कार्य में लगे रहते हैं। भूमि में केंचुए की संख्या जितनी अधिक होगी , भूमि की उर्वरा शक्ति उतनी ही अधिक होती है।

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में गोवंश के महत्व से इनकार नहीं किया जा सकता। आज खेती आधुनिक तरह से होने लगी है। ट्रैक्टर से जुताई होती हैऔर थ्रेशर से गहाई करके फसल घर के आंगन में पहुंच जाती है। हमारे जैसे साठ साल के ऊपर के लोगों को बैलों से खेत की जुताई और खलिहान में बैलों के द्वारा ही फसल की मड़ाई के वे आकर्षक दिन अब भी याद होंगे । वस्तुतरू गोवंश का महत्व आज भी कम नहीं हुआ है क्योंकि गोबर की खाद और रासायनिक खाद के अंतर को आलू और अन्य सब्जियों के स्वाद से भी समझा जा सकता है। गोवंश के विकास की तरफ पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया जिससे गौआधारित खेती की परम्परा भी कमजोर हुई । योगी आदित्य नाथ के नेतृत्व में यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद गोवंश विशेष रूप से चर्चा में आया। योगी की सरकार बनते ही अबैध बूचडखाने बन्द हो गये। गोवंश को पालने के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी किया गया । छुट्टा पशुओं से गांवों से लेकर शहरों तक समस्या भी खड़ी हुई । प्रदेश के नये मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को अभी कुछ दिनों पूर्व ही निर्देश दिया है कि छुट्टा पशुओं को गौशालाओं में रखा जाए ताकि वे फसलों को नुकसान न पहुंचा सकें। इसके साथ ही अब योजना बन रही है कि सरकार के माध्यम से गोबर की भी खरीद की जाए। गोबर से खाद और बायो गैस बनाकर ग्रामीणों को दी जाएगी। पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ से 25 किलोमीटर दूर किला परीक्षितगढ़ में किसान गौ आधारित खेती कर रहे हैं जिससे किसानों को काफी फायदा हो रहा है। मेरठ के एक किसान बृजेश कुमार त्यागी ने बताया कि गौ आधारित प्राकृतिक खेती के माध्यम से जहां कम लागत में बेहतर फसल होती है, वहीं जमीन की उर्वरक क्षमता भी बढ़ रही है और पानी की खपत कम होती है। किसान बृजेश कुमार त्यागी आम, लीची, अमरूद सहित अन्य प्रकार के फलों की खेती कर रहे हैं। उन्होंने एक समाचार चैनल की टीम से खास बातचीत करते हुए बताया कि वह खेती करते समय देसी गाय के गोमूत्र व गोबर का उपयोग करते हैं। भूमि में केंचुए की संख्या जितनी अधिक होगी , भूमि की उर्वरा शक्ति उतनी ही अधिक होती है। किसान बृजेश त्यागी के अनुसार उन्होंने 2004 में इस तरह से खेती की शुरुआत की थी। वह गुजरात में नौकरी करते थे लेकिन उन्होंने नौकरी को छोड़कर सोचा कि वह अपनी खेती करेंगे ,जिसके लिए उन्होंने खेती की प्राकृतिक पद्धति को अपनाया। उन्होंने कहा कि आज के दौर में किसान रासायनिक खाद को अधिक उपयोग करते हुए जमीन को खोखला बनाते जा रहे हैं, जिससे कि जो कीटाणु जमीन के लिए आवश्यक होते हैं ,वह नीचे धरातल पर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज फसल को पानी की भी अति आवश्यकता होती है। वहीं, खेती की बात की जाए तो उसमें खाद की मात्रा अधिक होती है. लेकिन गौ आधारित खेती ऐसी है. जहां बेहतर फसल होती है, वहीं खर्चा भी कम बैठता है। उन्होंने बताया कि पहले तो वह सिर्फ अकेले ही अपनी 13 एकड़ जमीन में यह फसल ऊगा रहे थे. लेकिन अब किला परीक्षित गढ़ में अन्य किसानों को भी इसके बारे में जागरूक कर रहे हैं। श्री त्यागी वर्ष 2019 से विभिन्न सेमिनार को अटेंड करते हुए गौ आधारित खेती को ही आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में गोप्रेमी योगी आदित्य नाथ के मुख्यमंत्री बनते ही भाजपा सरकार में गायों के अच्छे दिन भी शुरू हो गए। प्रदेश में गोवंश के संवर्द्धन के लिए पशुपालन एवं दुग्ध विकास के अलावा अन्य विभागों का भी सहयोग लिया जा रहा है। दरअसल, 2017 में भाजपा सरकार बनने के बाद जब मुख्यमंत्री के पद पर योगी आदित्यनाथ की ताजपोशी हुई, उसके दूसरे दिन से ही प्रदेश में योगी सरकार ने राज्य भर में चल रहे अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई शुरू की, जिसे लेकर मीट कारोबारी हड़ताल पर भी गए। राज्य सरकार का दावा है कि सभी अवैध बूचड़खाने बंद हो गए हैं। बूचड़खानों पर कार्रवाई के अलावा सरकार का गायों की सुरक्षा और संरक्षा पर खघसा जोर रहा है।खघ्ुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गाय और गोशाला को लेकर काफी संवेदनशील रहे हैं। उनकी संवेदनशीलता और गोप्रेम इसी बात से देखा जा सकता है जब उन्होंने 2019 में गोवंश कल्याण के लिए विभिन्न मदों में 632.60 करोड़ खर्च करने का बजट जारी कर दिया। वहीं इस वर्ष बजट के दौरान भी वित्त मंत्री ने कहा कि गोवंश के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। सरकार द्वारा चलाई गई गोवंश योजना मेरठ मंडल के सभी जिलों में संचालित हो रही है। मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड, नोएडा और बागपत में योजना के क्रियान्वयन के लिए पशुपालन विभाग जुटा हुआ है। मंडल के सभी छह जिलों में गोवंश संरक्षण केंद्र बनाए गए हैं जहां पर गायों की पूरी तरह से देखभाल की जाती है। अकेले मेरठ में ही दो बड़ी गौशालाएं संचालित हैं, जिनमें देशी गायों की देखभाल की जा रही है।

योगी सरकार की इस योजना का एक दूसरा पहलू और भी है। एक ओर जहां गोशालाओं में गायों की उपेक्षाओं की खबरें आती रहती हैं, वहीं दूसरी ओर पूरे प्रदेश में किसान आवारा गायों से अपनी फसलों की रक्षा के लिए संघर्ष करते दिख रहे हैं। कई बार किसान प्रशासन से इन आवारा गोवंशों पर रोक लगाने की गुहार लगा चुके हैं लेकिन प्रशासन भी किसानों को इस समस्या से मुक्ति नहीं दिला सका। प्रदेश के नवनियुक्त मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने 31दिसम्बर को लोक भवन स्थित कार्यालय में कार्यभार संभाला था। निवर्तमान मुख्य सचिव आरके तिवारी ने उन्हें कार्यभार सौंपा। दुर्गा शंकर मिश्रा 1984 बैच के आईएएस अफसर हैं। कार्यभार संभालने के बाद मुख्य सचिव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में नया दायित्व देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया। उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार की विकास व जनकल्याणकारी योजनाओं को अभियान के तौर पर पूरा करने की प्रतिबद्धता भी जताई। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की गोवंश संवर्द्धन संबंधी योजनाओं को निश्ठा के साथ लागू करने का निर्देश देते हुए कहा था कि वह दफ्तर में बैठकर नहीं, बल्कि फील्ड में उतरकर काम करेंगे।मुख्य सचिव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई बार कहा कि वह इसी प्रदेश के रहने वाले हैं। इसलिए प्रदेश के प्रति उनकी जिम्मेदारी और अधिक है। वह प्रदेश के बहुत कुछ देना चाहते हैं, इसके लिए भरपूर प्रयास भी करेंगे। वह पहले भी यहां कई जिम्मेदार पदों पर रह चुके हैं। उनको यहां की ब्यूरोक्रेसी पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रदेश का दौरा करने के बाद विकास का ब्ल्यू प्रिंट तैयार कराकर काम शुरू कराएंगे। (हिफी)
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